प्रमुख सचिव स्वास्थ्य का निर्देश, सभी चिकित्सक जेनरिक दवाएं ही लिखें
लखनऊ (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने राजकीय चिकित्सालयों में बेहतर व्यवस्था के लिए निर्देश जारी किये है। इसके अलावा उन्होंने चिकित्सकों को निर्देश जारी किया है कि वह वे दवाइयों को जेनेरिक नाम से ही अपने प्रिस्क्रिप्शन में लिखें।
प्रमुख सचिव ने निर्देश दिए कि मानक के अनुसार जो दवाइयां जनपद के ड्रग वेयर हाउस में उपलब्ध हैं, उनको, यदि कोई उपर्युक्त कारण न हो, तो अस्पताल में प्राप्त करना और मरीजों को उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाये। उन्होंने निर्देश दिए कि दवाइयों की उपलब्धता एक साइन बोर्ड के माध्यम से दवाइयों के काउन्टर के पास ऐसे प्रदर्शित की जाये कि आम जनता उसको आसानी से देख सके। साइन बोर्ड को नियमित रूप से अपडेट रखा जाये।
प्रमुख सचिव स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने अस्पतालों में साफ-सफाई,बेहतर व्यवस्था और उसका नियमित रूप से पर्यवेक्षण करने का निर्देश दिया। उन्होंने निर्देश दिए कि प्रत्येक निदेशक/ प्रमुख/मुख्य/प्रभारी चिकित्सा अधिकारी/अधीक्षक/अधीक्षिका प्रत्येक माह न केवल अस्पताल के क्रिटिकल परफारमेंस के पैरामीटर का विश्लेषण करें और यह भी देखें कि कौन चिकित्सक कितने मरीज देख रहे हैं और कितने आपरेशन कर रहे हैं।
श्री शर्मा ने निर्देश दिए कि ‘‘केयर ऐप’’ में नियमित रूप से प्रत्येक सोमवार को उपकरणों की क्रियाशीलता का डाटा उपलब्ध कराया जाये। इसके बाद जहां कहीं भी कोई उपकरण लंबे समय तक क्रियाशील नहीं रहता है तो सीधे अपर निदेशक, विद्युत से संपर्क किया जाये। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही 108 अस्पतालों का अनुश्रवण एकीकृत कोविड कमाण्ड सेन्टर (आईसीसीसी) के माध्यम से किया जायेगा। इन अस्पतालों में महत्वपूर्ण जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लग चुके हैं और प्रत्येक कैमरे से क्या देखा जाना है, उसकी एसओपी का निर्धारण भी हो चुका है।
उन्होंने निर्देश दिए कि समस्त प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक/अधीक्षिका न केवल यह सुनिश्चित करेंगे कि वे सीसीटीवी हर समय क्रियाशील रहें बल्कि अपने स्तर पर भी यह सुनिश्चित करेंगे कि बिन्दुवार एसओपी का अनुपालन हो।
श्री शर्मा ने निर्देश दिए कि आपातकालीन क्षेत्र में चिकित्सक एवं पैरामेडिकल स्टॉफ की पर्याप्त ड्यूटी लगायी जाये और वहां मरीजों के लिए एंबूलेंस, व्हीलचेयर, स्ट्रेचर और आवश्यक दवाइयों/उपकरणों इत्यादि की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये। आई०पी०डी० वार्ड में जो भोजन उपलब्ध कराया जाता है, उसकी गुणवत्ता की जांच नियमित रूप से की जाये और मरीजों एवं उनके तीमारदारों से टेस्टीमोनियल रिकार्ड किया जाये और संबंधित लोगों से भी साझा किया जाये।
प्रमुख सचिव स्वास्थ्य ने कहा कि अस्पताल में रख-रखाव की छोटी-मोटी मरम्मत, रंगाई-पुताई को प्राथमिकता से कराया जाये और इस हेतु आवश्यकतानुसार मुख्य चिकित्सा अधिकारी के अधीन अवर अभियंता से संपर्क किया जाये। सभी चिकित्सकों को ई-संजीवनी 2.0 के हब के रूप में पंजीकृत किया जाये।
प्रमुख सचिव स्वास्थ्य ने समस्त निदेशक, प्रमुख अधीक्षक, मुख्य चिकित्साधिकारी /अधीक्षक, अधीक्षक/प्रभारी चिकित्सा अधिकारी एवं राजकीय चिकित्सालय, उत्तर प्रदेश को निर्देशित किया है कि निर्देशों का अनुपालन कर 10 दिन के अन्दर बिन्दुवार अनुपालन आख्या महानिदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य सेवायें को उपलब्ध करायी जायें।
बृजनन्दन/सियाराम