पतली मोटी गलियों में बना रहे अपार्टमेंट, हो रही कार्रवाई
लखनऊ (हि.स.)। जमीन के टुकड़ें पर अपार्टमेंट बिल्डिंग बनाकर लाखों करोड़ों रुपयों का मुनाफा कमाने वाले बिल्डरों की नजर पतली मोटी गलियों पर भी है। बिल्डरों को गली में जमीन का टुकड़ा मिलते ही वहां तीन से चार मंजिल की बिल्डिंग बना दे रहे हैं। गलियों में बिल्डिंग बनाते हुए उसे ढ़ंक दिया जाता है। बाद में किसी शिकायती पत्र पर लखनऊ विकास प्राधिकरण के अभियंता या अधिकारी के मौके पर पहुंचने पर आवश्यक कागजात या स्वीकृत नक्शा ना मिलने पर कार्रवाई होती है।
ठाकुरगंज से दुबग्गा के बीच में गलियों में बनने वाली बिल्डिगों की संख्या बढ़ती जा रही है। जहां कुछ वक्त पहले पुराने मकान हुआ करते थे। उसे तोड़कर आवासीय बिल्डिंग बनाकर बिल्डर लाभ उठा रहे हैं। बिल्डर सुहैल और उसके सहयोगियों ने ठाकुरगंज के निकट ही पतली गली में बिल्डिंग बनायी और रातों रात बेच कर लाभ कमा लिया। दुबग्गा चौराहे से कुछ कदमों की दूरी पर भी चार मंजिला बिल्डिंग बनी और उसके नीचे दुकानें बेच दी गयी। बाद में ऊपरी हिस्से को किरायेदारों को दे दिया गया।
लालबाग इलाके में कुछ वर्ष पूर्व एक आवासीय बिल्डिंग बनायी गयी। जिसे बेचने वाले लोगों ने उसके फ्लैट को बार बार खरीदा और बेचा। बिल्डिंग के सबसे ऊपर की मंजिल अवैध रुप से बनी है। जिसका नक्शा स्वीकृत नहीं हुआ और लाभ कमाने के लिए बिल्डर ने उसे बनाया। ये बिल्डिंग भी मुख्य सड़क से लगी गली में बनायी गयी थी। चौक क्षेत्र में अनूप नामक एक व्यक्ति द्वारा भी पुराने मकान को तोड़कर बिल्डिंग बनाने की कोशिश की गयी, तभी तक प्राधिकरण की कार्रवाई हो गयी।
फैजुल्लागंज के फैले हुए क्षेत्र में बिल्डरों ने छोटे बड़े 50 आवासीय व वाणिज्यिक बिल्डिंगें बनायी। जिसे बेचा गया और इसमें ज्यादा कर बिल्डिंगों के नक्शा स्वीकृत कराने के प्रक्रिया को पूरा नहीं किया गया। कुछ बिल्डिंगों को नक्शा स्वीकृत बताया जा रहा है, जिसमें भी मानक के अनुरुप बिल्डिंग नहीं बनी है। फैजुल्लागंज की तरह ही त्रिवेणी नगर में क्षेत्र में कुछ स्थानीय लोगों ने वाणिज्यिक बिल्डिंगों को बनाया। गलियों में बनी बिल्डिंगों को पहले तो आवासीय मकान की तर्ज पर बनाया गया तो बाद में अपार्टमेंट बिल्डिंग की सूरत दे दी गयी।
बिल्डरों के लिए गलियों में मुनाफा है तय
गलियों में बिल्डिंग बनाते ही बिल्डरों के फ्लैट या दुकान की बुकिंग करने वाले तत्काल ही मिल जाते है। इसमें मुनाफा तय हो जाता है। जिसमें बिल्डिंग बनते ही उसमें आवासीय और वाणिज्यिक गतिविधि शुरु हो जाती है।
बिना नक्शा स्वीकृत बिल्डिंगों पर होती रही कार्रवाई
लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव पवन गंगवार ने कहा कि प्राधिकरण को सूचना मिलने पर बिल्डिंगों के कागजों की जांच होती है। नक्शा स्वीकृत नहीं होने पर उस बिल्डिंग को सील की कार्रवाई करते है। कुछ प्रकरणों में वहां बिल्डर द्वारा बिल्डिंग बेच देने और वहां परिवारों के रहने के मामले में फिर न्यायालय के फैसले का पालन किया जाता है।
शरद/बृजनंदन