नमक हराम किसे कहते हैं?

नालेज डेस्क

नमक हराम का एक शब्द में उत्तर दूँ तो वह है-‘कृतघ्न।’ यह संस्कृत से आया हिन्दी का शब्द है। नमक हराम दो शब्दों से मिल कर बना है-‘नमक और हराम।’ आप को यह जानकर शायद अच्छा न लगे कि ‘नमक’ हिन्दी का शब्द न होकर वास्तव में फ़ारसी का शब्द है। फ़ारसी के अनगिनत शब्द हमारी रोज़मर्रा की भाषा में इस तरह घुल-मिल गये हैं कि हमें यह याद ही नहीं रहता कि वह हिन्दी के नहीं हैं। यथा-अनार, किनारा, बहादुर, बीमार, ज़हर, आराम, जल्दी और ऐसे अनगिनत शब्द जिन्हें हम हिन्दी के मान कर चलते हैं असल में या तो फ़ारसी मूल के हैं या अरबी मूल के। नमक के लिए हिन्दी शब्द है-‘लवण’ जो मूल संस्कृत ‘लवणक’ से आया है। पंजाबी और उस क्षेत्र की अन्य भाषाओं जैसे मुलतानी, लाहौरी, डेरेवाली इत्यादि में इसे आज भी ‘लूंण’ कहा जाता है।
नमक का शब्दार्थ तो सभी जानते हैं। परन्तु अति साधारण एवं कम मूल्य की इस वस्तु का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। गरीब की रसोई में घी और चीनी न मिले पर नमक तो मिल ही जायेगा। हमारे जीवन में नमक के महत्व को मद्देनज़र रख कर ही किसी के द्वारा पालन पोषण करने पर कहा जाता है-‘उसका नमक खाया है।’ नमक हराम शब्द का दूसरा हिस्सा है-‘हराम।’ ‘नमक’ शब्द फ़ारसी मूल का है और ‘हराम’ अरबी मूल का।’ हराम अनेक प्रकार से प्रयोग किया जाता है। हरामज़ादे-जो विवाह संस्था के बाहर उत्पन्न हुआ हो। ‘हरामखोर’-जो बिना काम किये खाता हो। अब यदि किसी ने अपने पालने वाले का उपकार माना और उसकी ज़रूरत के समय उसके किसी काम आ गया, तो उसे कहेंगे ‘नमक का हक़ अदा करना।’ हिन्दी में-ऋण चुकाना या कृतज्ञ होना। पर यदि कोई अपने उपकार करनेवाले का एहसान भूल जाये वह तो हुआ ‘एहसान फ़रामोश।’ और नमकहराम वह व्यक्ति होता है जो अपने पर उपकार करने वाले को, अपने अन्नदाता को किसी प्रकार की हानि पहुँचाए अथवा उसकी ज़रूरत के समय मुँह फेर कर खड़ा रहे। हिन्दी में कहेंगे कृतघ्न या अकृतज्ञ।

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