नगर में बढ़ता अतिक्रमण परेशानी का सबब बना हुआ है।

संवाददाता रोहित कुमार गुप्ता उतरौला(बलरामपुर)

जिसके चलते सड़कों पर जाम लग जाती है और लोगों को घंटो जाम में फंसे रहना पड़ता है।
अतिक्रमण हटाने के लिए चलाया जाने वाला अभियान केवल कुछ टीनशेड और होर्डिग्स की बलि देकर ही खत्म हो जाता है। कभी पुलिस न मिलने तो कभी त्योहारों का हवाला देकर प्रशासन अतिक्रमण करने वालों को अभयदान देता आ रहा है। प्रशासन चाहे तो अतिक्रमणकारियों से जुर्माना वसूल सकता है किंतु अभी तक ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की गई।
अतिक्रमण हटाने के लिए एक वर्ष पूर्व उतरौला नगर में चलाया गया अभियान केवल कुछ टीनशेड, होर्डिग्स, फुटपाथ पर लगा गन्ना जूस, मोची, कसगढ़ के मिट्टी के बर्तनों की बलि देकर ही खत्म हो जाता है। कभी पुलिस न मिलने तो कभी त्योहारों का हवाला देकर जिम्मेदार अधिकारी अतिक्रमण करने वालों को अभयदान देता आ रहा है। प्रशासन चाहे तो अतिक्रमणकारियों से जुर्माना वसूल सकता है, कितु अभी तक ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की गई।
शहरी क्षेत्रों में स्थाई और अस्थाई अतिक्रमण हटवाने का दायित्व निकायों का है, किंतु उतरौला निकाय के अधिशाषी अधिकारी का इस ओर रूचि न होने का खामियाजा वाहन चालकों व राहगीरों को भुगतना पड़ रहा है। निकाय अतिक्रमण हटाने के लिए घोषणा तो करती हैं, किंतु अफसर ही निर्धारित समय पर नहीं पहुंचते हैं। इसके अलावा कई बार पुलिस बल न मिलने तो कई बार त्योहारों को देखते हुए अतिक्रमण नहीं हटाया जाता है। अतिक्रमण करने वालों पर पालिका जुर्माना लगा सकती है, लेकिन प्रावधान ना होने का बहाना बनाकर जुर्माने की कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। यहीं वजह है कि उतरौला नगर क्षेत्र में अतिक्रमण तेजी से बढ़ा है। और अतिक्रमणकारियों के हौंसले बुलंद हैं।वहीं पालिका प्रशासन भी शहर में केवल एनाउंसमेंट कराकर खाना पूर्ति करती आ रही है। इसके अलावा पालिका अभियान चलाती भी है, तो सिर्फ टिनशेड और सड़क किनारे खड़ी होर्डिंग्स को हटाकर पल्ला झाड़ लिया जाता है। नाली, नालो, तालाबों पर वह अस्थाई अतिक्रमण की तरफ प्रशासन ध्यान तक नहीं देता है। श्यामा प्रसाद मुखर्जी चौराहा के चारों तरफ, मुख्य बाजार व हाटन रोड तिराहा से नगर के अंतिम सीमा तक सड़क के दोनों पटरियां अतिक्रमण के चपेट में हैं, जिससे लोगों को आए दिन जाम की समस्या को झेलना पड़ता है। नगर पालिका स्थायी अतिक्रमण हटवाने की कोशिश तक नहीं करता है। वहीं कई बार राजनीतिक दबाव में पालिका के अतिक्रमण हटाओ अभियान की हवा निकल जाती है।
कहीं से अगर एक बार अतिक्रमण हटवाया जाता है, तो दोबारा अतिक्रमण न करना खुद संबंधित व्यक्ति की जिम्मेदारी होती है। पालिका दोबारा अतिक्रमण करने वालों पर जुर्माना लगा सकती है, लेकिन ऐसा नहीं होता है। एक बार अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाकर कई साल की छुट्टी कर दी जाती है। जिससे अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद हैं।

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