दूध संग्रहण केंद्र से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़े किसान
-गाय ने बदल दी गांव की किस्मत, महिलाओं के भी बहुरे दिन
मीरजापुर(हि.स.)। दूध संग्रहण केन्द्र ने किसानों की रूचि को गौपालन के लिए बढ़ा दी है। जिसमें बड़ी भूमिका योगी सरकार की भी है। सरकार की ओर से एक गाय के लिए प्रतिमाह दी जारी नौ सौ रूपये ने किसानों के लिए बड़ी राहत है। इससे एक ओर किसान जहां गौमाता की सेवा कर रहे हैं, वहीं आत्मनिर्भरता की ओर भी बढ़ रहे हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में दूध संग्रहण केंद्र न होने के कारण पशुपालक स्थानीय व्यक्ति, होटलों, दुकानों पर कम कीमत पर दूध बेचते थे। परंतु अब उन्हें दूध का उचित मूल्य 40 से 70 रुपये प्रति लीटर तक मिल जाता है। अब किसान गौपालन कर आत्मनिर्भर की ओर बढ़ रहे हैं। लगभग हर गांव में दूध संग्रहण केंद्र खुल गया है। किसान प्रतिदिन अपने दूध को फैट की मात्रा के अनुसार विक्रय कर पाते हैं। इसका भुगतान प्रत्येक सप्ताह उनके बैंक खाते में कर दिया जाता है।
पराग डेयरी के प्रभारी लवकुश द्विवेदी ने बताया कि पशुपालकों से दूध के फैट पर उन्हें भुगतान किया जाता है। साथ ही सब्सिडी के अनुसार बाजार भाव से कम दाम में हरे चारे के बीज व पशुओं की दवा उपलब्ध कराई जा रही है, जिससे किसान काफी खुशहाल रहें।
कई दूग्ध कम्पनियों ने खोले संग्रहण केंद्र
पराग, नमस्ते इंडिया, अमूल, सूधा डेयरी समेत दूध की बड़ी कंपनियां अब गांवों में दूध संग्रह केंद्र खोल रही हैं। इन केंद्रों पर एक समय में सौ लीटर से अधिक दूध आसानी से मिल रहा है। किसान अपना दूध सेंटर तक पहुंचा देते हैं और फैट के आधार पर दूध का रेट भी अच्छा मिल रहा है। इससे किसानों में गौपालन की रूचि भी बढ़ रही है।
दूध संग्रहण केंद्र खुलने से बहुरे महिलाओं के दिन
ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत काशी डेयरी ने महिलाओं को रोजगार प्रदान किया है। इसके अंतर्गत प्रत्येक दूध संग्रहण केंद्र पर बीस महिलाओं को जोड़कर एक समूह बनाया गया है, जिसमें महिलाएं अच्छे दाम पर अपने गाय व भैंस का दूध बेचती हैं। डेयरी समूह से जुड़ी महिला दुर्गा देवी, वर्षा, संगमा, धनेसरी, रंजना देवी, विद्यावती आदि ने बताया कि समहू के अंतर्गत हमें घर पर ही एक अच्छा रोजगार मिला है। सप्ताह के अंत में खाते में पैसा भी आ जाता है।
गाय ने बदल दी गांव की किस्मत
विकास खंड पहाड़ी के पड़री गांव निवासी प्रगतिशील किसान व पशुपालक अजय ओझा बताते हैं कि गांव में गौपालन के जरिए जागरुकता लाने की कोशिश की गई। लोगों को गौपालन के फायदे को सझाया गया तो ग्रामीण इससे से जुड़ते चले गए। गांव में कृषि योग्य जमीन तो है लेकिन सिंचाई एक बड़ी समस्या थी। गौपालन से जुड़ने के बाद गांव से पलायन कम हुआ और गांव में 50 फीसदी से अधिक परिवारों से पास गाय और भैंस हैं।
गिरजा शंकर