दुग्ध उत्पादन के उद्यम को बढ़ावा देकर बनें आत्मनिर्भर : डॉ. आरके यादव

– डेयरी फार्मिंग पर प्रारंभ हुआ तीन दिवसीय द्वितीय प्रशिक्षण

कानपुर (हि.स.)। खेती और पशुपालन का सीधा संबंध कृषि क्षेत्र से आपस में जुड़ा होता है। ऐसे में पशुपालन के जरिये युवा दुग्ध उत्पादन में बेहतर कार्य कर सकते हैं। दुग्ध उत्पादन के उद्यम को बढ़ावा देकर आत्मनिर्भर बना जा सकता है, पर इसके विषय में सदैव नवीनतम जानकारियों से अपटेड रहना होगा। यह बातें मंगलवार को सीएसए के डॉ. आरके यादव ने कही।

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के प्रसार निदेशालय में डेयरी फार्मिंग एवं डेरी का विकास विषय पर आठ मई से तीन दिवसीय कृषकों के लिए प्रशिक्षण चल रहा है। दूसरे दिन मंगलवार को मुख्य अतिथि निदेशक प्रसार डॉ आरके यादव ने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि वैज्ञानिकों द्वारा दी गई नवीनतम तकनीकों से आप अपनी खेती, पशुपालन एवं दुग्ध उत्पादन के उद्यम को बढ़ावा देकर आत्मनिर्भर बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि डेयरी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए काफी अवसर हैं।

मृदा वैज्ञानिक डॉ खलील खान ने नाडेप कंपोस्ट एवं केंचुआ खाद बनाने की वैज्ञानिक विधि एवं उपयोगिता के बारे में विस्तार से किसानों को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मृदा में जीवांश कार्बन की बढ़ोतरी होती है तथा फसल उत्पाद गुणवत्ता युक्त होता है। सह निदेशक प्रसार डॉ पीके राठी ने कृषि में जैविक उर्वरकों का प्रयोग एवं खेती में लाभ विषय पर बताया।

वैज्ञानिक डॉक्टर सोहन लाल वर्मा ने पशुओं के लिए संतुलित आहार एवं हरे चारे की उपलब्धता विषय पर जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर सोहन लाल वर्मा ने किया तथा उन्होंने विस्तार से प्रशिक्षण की रूपरेखा पर भी चर्चा की। बताया गया कि डेयरी फार्मिंग के ये कृषक सहकारी डेयरी प्रशिक्षण संस्थान वाराणसी द्वारा जनपद प्रयागराज एवं मिर्जापुर से आए हुए हैं। इन सभी अतिथियों का स्वागत डॉक्टर अनिल कुमार सिंह ने किया। इस अवसर पर लगभग 45 किसानों ने प्रतिभाग किया।

महमूद/राजेश तिवारी

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