दर्द निवारक दवाइयों से खून के प्रवाह पर असर : सतीश राय

प्रयागराज(हि.स.)। मौसम में बदलाव के समय लोग ज्यादा बीमार होते हैं। तापमान के बढ़ने या गिरने से सांस के रोगियों की बीमारियां बढ़ जाती हैं। यह बीमारी ठंड के मौसम में ज्यादा होती है। सर्दियों में अपनी जीवन शैली में परिवर्तन कर शरीर को कड़ाके की ठंड से जूझने के लिए तैयार करें ताकि मौसमी बीमारियों से बचाव हो। खान-पान में बदलाव करें, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करें, शरीर को गर्म रखने का उपाय करें।

यह बातें एसकेआर योग एवं रेकी शोध प्रशिक्षण और प्राकृतिक संस्थान प्रयागराज रेकी सेंटर पर जाने-माने स्पर्श चिकित्सक सतीश राय ने लोगों से कही। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे ठंड बढ़ती है शरीर को ज्यादा ऊर्जा की जरूरत पड़ती है। सर्दियों में ठंड से बचने और ऊर्जा प्राप्त करने का सबसे सरल उपाय है, जमकर भोजन करना। सर्दी से बचने के लिए खान-पान और जीवन शैली में कुछ बदलाव जरूरी है। इसमें गर्मी देने वाले आहार जैसे अदरक, लहसुन, जायफल, हींग, काली मिर्च, गिलोय, अश्वगंधा, लौंग, घी, शहद, गुड़, तिल, मौसमी फल आदि को किसी भी रूप में अपने भोजन में शामिल जरूर करें।

-सर्दियों में शरीर के रोम छिद्र सिकुड़ जाते हैं

सतीश राय ने कहा कि प्राकृतिक उपचार फैलाव और सिकुड़न पर आधारित है। सर्दियों में शरीर के रोम छिद्र सिकुड़ कर कम हो जाते हैं। ऐसे में शरीर को जरूरी ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। ऐसे में शरीर को गर्माहट से ज्यादा फायदा होता है। गर्माहट से त्वचा फैलती है। इसके लिए लाइफ रूटीन में कुछ छोटे बदलाव करने हैं। सुबह उठे तो तुरंत न उठकर बिस्तर पर ही गहरी लम्बी सांस लें और छोड़ें। अपने हाथ पैरों को इधर-उधर चलाएं बिस्तर छोड़ने के पश्चात रोजाना हल्की एक्सरसाइज करने की आदत डालें।

-स्पर्श ध्यान को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं

सतीश राय ने कहा कि स्पर्श-ध्यान को अपने जीवन का हिस्सा बनाने से मौसम बदलने पर स्वास्थ से जुड़ी मौसमी चुनौतियों से बचाव होगा। प्राकृतिक उपचार से ही अपने रोगों को ठीक करने की आदत डालें। उन्होंने कहा कि वर्तमान में शरीर दर्द दूर करने के लिए लोग तुरंत दर्द की दवा खा लेते हैं, इससे किडनी को बहुत नुकसान पहुंचता है। दर्द निवारक दवाइयां खून के प्रवाह पर असर करती हैं जिसकी वजह से दर्द कम महसूस होता है। इससे पेट में एसिडिटी एवं अल्सर होने की सम्भावना बढ़ जाती है। पेन किलर का अंधाधुंध सेवन शरीर से पानी और सोडियम निकालने की किडनी के रफ्तार को धीमा कर देता है। इससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा 50 प्रतिशत बढ़ जाता है।

-ब्लड सर्कुलेशन कम रहने से लगती है ज्यादा ठंड

सतीश राय ने कहा जिन लोगों का ब्लड सर्कुलेशन कम रहता है, उन लोगों को ठंड ज्यादा लगती है। कभी-कभी ज्यादा ठंड लगना जानलेवा भी हो जाता है। शरीर की धमनियां संकुचित हो जाने से रक्त प्रवाह कम हो जाता है। ऐसे में हमारी चिकित्सा ऐसी होनी चाहिए जो शरीर के अंदर रोगों से लड़ने वाली सुरक्षा शक्तियों को कोई नुकसान न पहुंचाएं। ठंडे मौसम में बैक्टीरिया, वायरस सक्रिय हो जाते हैं जो कमजोर इम्यूनिटी वालों को परेशान करते हैं। ऐसे में आध्यात्मिक उपचार के विकल्प अपनाकर हमें अपने को अंदर से मजबूत बनाना चाहिए, जो बिना खर्च के किया जा सकता है।

विद्या कान्त/सियाराम

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