थ्रोम्बो साइटोपेनिया में प्लेटलेट्स की संख्या औसत से कम : डॉ फहीमा हसन

प्रयागराज(हि.स.)। थ्रोम्बो साइटोपेनिया में रोगी के शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या औसत से कम हो जाती है। प्लेटलेट्स वह रक्त कोशिकाएं हैं जो एक साथ चिपककर और चोट वाली जगह को बंद करके रक्त का थक्का जमने में मदद करती हैं। जिससे रक्तस्राव रुक जाता है।

यह बातें एसजीपीजीआई लखनऊ के क्लीनिकल हिमैटोलॉजी विभाग की सह आचार्य डॉ फहीमा हसन ने थ्रोम्बो साइटोपेनिया डायग्नोसिस व उपचार विषय पर इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन कनवेन्शन सेंटर में आयोजित वैज्ञानिक संगोष्ठी में कही। उन्होंने बताया कि यह एक चिकित्सीय स्थिति है, जिसमें थ्रोम्बो साइटोपेनिया के मरीजों में आसान या अत्यधिक रक्तस्राव, मूत्र या मल में रक्त, अत्यधिक थकान और घाव वाली जगह से लंबे समय तक रक्तस्राव दिखाई देता है। थ्रोम्बो साइटोपेनिया के विभिन्न कारण चिकित्सीय स्थितियां हैं। जिनके कारण प्लेटलेट विनाश बढ़ जाता है, उत्पादन कम हो जाता है। प्लेटलेट्स का फंसना बढ़ जाता है या रक्त पतला हो जाता है।

उन्होंने बताया कि थ्रोम्बोसाइटोपेनिया का उपचार स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करता है। आम तौर पर, कम प्लेटलेट के हल्के मामलों का निदान नहीं हो पाता है और किसी विशिष्ट उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। गंभीर लक्षणों में, रोगियों को आमतौर पर कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स, अन्य दवाएं या प्लेटलेट ट्रांसफ़्यूजन निर्धारित किया जाता है। स्प्लेनेक्टोमी या प्लीहा को हटाना आमतौर पर उपचार की अंतिम पंक्ति है और इसकी सलाह तब दी जाती है, जब दवाएं कम प्लेटलेट काउंट का प्रभावी ढंग से इलाज करने में विफल हो जाती है।

डॉ फहीमा ने बताया कि थ्रोम्बोसाइटोपेनिया कई लक्षण पैदा कर सकता है, जो आपके दैनिक जीवन को प्रभावित कर सकते हैं। एक समय में एक से अधिक लक्षणों का अनुभव करना संभव है। आसानी से चोट लगना घावों से लंबे समय तक अत्यधिक रक्तस्राव होना, सतही रक्तस्राव जो बिल्कुल लाल धब्बों के रूप में प्रकट होता है, जिसे पेटीचिया कहा जाता है। यदि आपको उल्टी, मल या मूत्र में रक्त जैसे आंतरिक रक्तस्राव के लक्षण दिखाई देते हैं, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से बात करने की आवश्यकता है। गंभीर मामलों में घावों से अत्यधिक और अनियंत्रित रक्तस्राव हो सकता है। इन रोगियों को तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता होती है, क्योंकि लगातार रक्तस्राव के परिणामस्वरूप रक्तस्रावी झटका या हाइपोवोलेमिक झटका हो सकता है जो इलाज न किए जाने पर घातक साबित हो सकता है।

एएमए वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ जेवी राय की अध्यक्षता में आयोजित वैज्ञानिक संगोष्ठी में चेयरपर्सन डॉ जीएस सिन्हा, डॉ राधारानी घोष, डॉ कचनार वर्मा को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। एएमए के सचिव डॉ आशुतोष गुप्ता ने संगोष्ठी का संचालन तथा धन्यवाद ज्ञापन किया।

विद्या कान्त/राजेश

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