ढाई साल, बदला हाल… पर्यटन के नए क्षितिज पर विंध्यधाम
मीरजापुर(हि.स.)। ढाई साल, बदला हाल… पर्यटन के नए क्षितिज पर विंध्यधाम…। हम बात कर रहे हैं विंध्य कारिडोर की। 30 अक्टूबर 2020 वह घड़ी थी जब 331 करोड़ की विंध्य कारिडोर परियोजना को उत्तर प्रदेश कैबिनेट की मंजूरी मिली थी, तभी से विश्व फलक पर शुमार आदिशक्ति जगत जननी मां विंध्यवासिनी धाम का स्वर्णिम काल शुरू हो चुका था। विंध्य कारिडोर परियोजना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है। ऐसे में तय है कि विंध्य कारिडोर योगी सरकार की उपलब्धियों के तौर पर जाना जाएगा। साथ ही भाजपा लोगों को यह बताने की कोशिश करेगी कि वह अध्यात्म, धर्म और विकास का मेल कराकर आगे बढ़ रही है।
केवल एक वर्ष आगे की कल्पना करें तो मीरजापुर यानी विंध्य क्षेत्र में एक बदलाव बहुत प्रत्यक्ष दिखेगा, वह होगा विंध्य कारिडोर। जो पहले वहां जा चुके हैं, वे तब जाने पर शायद उसे पहचान भी न सकें। परिक्रमा पथ के साथ ही मां विंध्यवासिनी का भव्य मंदिर तो होगा ही, और भी बहुत से परिवर्तन तब तक हो चुके होंगे। जिस मार्ग से श्रद्धालु हिचकोले खाते व धूल से होकर विंध्यधाम पहुंचते थे, वह फोरलेन हो चुका होगा। चौड़ी सड़कें व अन्य सुविधाएं होंगी। परिक्रमा मार्गों का सुंदरीकरण हो चुका होगा। यह सब होगा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सोच और इच्छाशक्ति से बदल गया होगा।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार धार्मिक स्थलों के सम्मान के साथ पर्यटन विकास व रोजगार को बढ़ावा देने को लेकर संकल्पित है। वर्ष 2017 में जब योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो श्रद्धा व आस्था का केंद्र विश्व प्रसिद्ध विंध्याचल धाम को सजाने-संवारने के साथ प्रमुख तीर्थस्थल बनाने की योजना तैयार की गई। वैसे तो कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद से ही विंध्य कारिडोर का कार्य शुरू हो चुका था और परियोजना पूर्ण करने की समय सीमा भी निर्धारित हो गई थी।
इसी बीच दानव रूपी कोरोना संक्रमण आ गया। इस कारण विंध्य कारिडोर निर्माण की समय सीमा दिसंबर 2023 तक बढ़ा दी गई। कोरोना काल में जब सब काम ठप था, उस समय भी विंध्य कारिडोर की प्रक्रिया चल रही थी। सारी प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद विंध्य कारिडोर का निर्माण कार्य शुरू कराने के लिए शिलान्यास का इंतजार था। हालांकि एक अगस्त 2021 को गृह मंत्री अमित शाह ने बहुप्रतीक्षित विंध्य कारिडोर की आधारशिला रखी तो निर्माण कार्य जोर पकड़ने लगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कड़ी निगरानी व धन की कमी न आने से विंध्य कारिडोर अब पूर्णता की ओर है। विंध्य कारिडोर निर्माण के नामित राजकीय निर्माण निगम को मुख्यमंत्री का सख्त निर्देश है कि गुणवत्ता व फिनीशिंग पर विषेश ध्यान रखा जाए। ऐसे में प्रशासन के साथ कार्यदायी संस्था ड्रीम प्रोजेक्ट विंध्य कारिडोर को मुख्यमंत्री के सपनों सरीखा बनाने में जुटी है।
सांस्कृतिक विरासत संजोए प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण विंध्य क्षेत्र सिद्धपीठ के साथ वैज्ञानिक दृष्टि से भी खास है। विंध्यवासिनी धाम भारत के मानक समय का भी केंद्र बिंदु है। ऐसे कितने रहस्य हैं, जो दुनिया के नजरों से ओझल हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सोच व इच्छाशक्ति से विंध्यधाम की सूरत बदलेगी ही, आस्था के सम्मान के साथ यहां विश्व स्तरीय सुविधाएं भी मिलेंगी।
प्रयागराज और काशी के बीच गंगा किनारे विंध्य पहाड़ी की गोद में स्थित धार्मिक क्षेत्र विंध्याचल से ही प्रधान मध्याह्न रेखा यानी इंडियन स्टैंडर्ड टाइम (आइएसटी) 82.5 पूर्वी देशांतर गुजरती है, जहां आदिशक्ति मां विंध्यवासिनी विराजमान हैं। वर्ष 2007 में भूगोल विदों के एक दल ने विंध्याचल के अटल चौक के पास स्थित स्थल को मानक समय के स्थल के रूप में चिन्हित किया था। भौगोलिक स्थिति की जानकारी रिसर्च करने वाली संस्था एसपीएसीई (साइज पाल्युराइजेशन एसोसिएशन आफ कम्युनिकेट्स एंड एजुकेशन) ने इसको चिन्हित किया था। विंध्याचल की महत्ता त्रेतायुग में भी थी। लंकाधिपति रावण विंध्याचल को ही पृथ्वी का केंद्र मानकर अपनी ज्योतिष गणित की गणना यहीं से करता था।
धार्मिक पर्यटन से जुड़ी है बड़ी आबादी
धार्मिक पर्यटन से विंध्यवासिनी धाम की एक बहुत बड़ी आबादी जुड़ी हुई है। इसमें अनुसूचित जाति-जनजाति व पिछड़ा वर्ग के लोग भी सम्मिलित हैं। विंध्य कारिडोर से उनके कारोबार का स्वरूप बदलेगा। सदियों से मंदिर के पास रहने वाले कई लाेग विस्थापित हो चुके हैं।
तीर्थयात्रियों के भरोसे चलती है विंध्यधाम की अर्थव्यवस्था
अब पहले वाला विंध्यधाम नहीं रहा। समय के साथ अब यहां की चहल-पहल बदल गई है। तीर्थयात्रियों की भीड़ का जमावड़ा सबसे पहले यहीं होता है। यहीं से जय माता दी की गूंज कोसों तक सुनाई पड़ती है, इसलिए यहां की अर्थव्यवस्था पूरी तौर पर तीर्थयात्रियों पर ही टिकी है। ठहरने के लिए होटल, प्रसाद की दुकानें, रेस्टोरेंट, भोजनालय, सवारियों के लिए साधन व अन्य सुविधाओं में काफी इजाफा हुआ है। विंध्यवासिनी धाम के व्यापारी कहते है कि करोड़ों का कारोबार तीर्थयात्रियों के भरोसे है।
यात्रियों की सुविधा का पूरा ख्याल
सुरक्षा इंतजाम तीर्थयात्रियों के खौफ को खत्म करती है। वैसे तीर्थयात्रियों को पहाड़ों में बैठी मातारानी पर भरोसा है। मां विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए जाते समय पग-पग पर भिखारी तंग करते हैं। इससे तीर्थयात्री थोड़ा परेशान होते हैं। मगर इनकी भी मजबूरी है। इनकी रोजी रोटी का सवाल है।
दानपात्र से हर वर्ष निकलता है सवा करोड़ रुपये, सोना-चांदी व विदेशी मुद्रा भी
विंध्य पर्वत पर विराजमान मां विंध्यवासिनी मंदिर, कालीखोह व अष्टभुजा मंदिर पर कुल 11 दानपात्र हैं। नौ दानपात्र विंध्यवासिनी मंदिर पर व एक-एक दानपात्र अष्टभुजा व कालीखोह मंदिर पर है। प्रतिवर्ष छह बार दानपात्रों की गिनती होती है और लगभग सवा करोड़ रुपये निकलता है। जबकि पहले एक करोड़ रुपये निकलता था। दानपात्र से नकद के साथ सोना-चांदी व विदेशी मुद्रा भी मिलता है।
विंध्य कारिडोर निर्माण के बाद प्रतिदिन पांच लाख श्रद्धालुओं का आगमन अपेक्षित
गत चैत्र नवरात्र भर विंध्य दरबार में न सिर्फ श्रद्धा, विश्वास व आस्था का अद्भुत समागम दिखा बल्कि मां विंध्यवासिनी के प्रति आस्था का शिखर परिलक्षित हुआ। विंध्य कारिडोर निर्माण के साथ दर्शनार्थियों की संख्या में निरंतर वृद्धि होती जा रही है। कारिडोर निर्माण के बाद मां विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए प्रतिदिन पांच लाख श्रद्धालुओं का आगमन अपेक्षित है।
पंडा समाज के एक प्रतिनिधि ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि विंध्य कारिडोर न सिर्फ प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान करेगा बल्कि सरकार की आय में भी वृद्धि करेगा। साथ ही मंदिरों और आसपास के क्षेत्रों में पर्यटकों के आने से होटल, लाज व धर्मशालाओं में अधिक कमाई होगी। विंध्य कारिडोर का निर्माण अभी पूरा नहीं हुआ है और लगभग 70 हजार लोग प्रतिदिन मां विंध्यवासिनी का दर्शन करने विंध्यधाम आ रहे हैं। जब यह पूरा हो जाएगा तो यह संख्या प्रतिदिन के हिसाब से पांच लाख तक पहुंच जाएगा। ज्यादा जीएसटी मिलेगा, बस और ट्रेन के ज्यादा टिकट बिकेंगे। साथ ही नगर पालिका को मिलने वाले आय जल व भवन कर आदि में भी बढ़ोत्तरी होगी। निश्चित रूप से कमाई बढ़ेगी और विंध्यधाम की अर्थव्यवस्था सुधरेगी।
गंगा-जमुनी-तहजीब की मिसाल… राष्ट्र को एकसूत्र में पिरोने का संदेश
विंध्य कारिडोर को भव्यता प्रदान करने के लिए शासन-प्रशासन के साथ नागरिकों का भी पूरा सहयोग मिल रहा है। विश्व प्रसिद्ध विंध्यवासिनी धाम के मुस्लिमों ने भी धर्म और पंथ को एक ओर रख गंगा-जमुनी-तहजीब की मिसाल पेश की है। विंध्य कारिडोर निर्माण के लिए अपनी भूमि रजिस्ट्री कर राष्ट्रीय एकता और कौमी एकता का पैगाम दिया है। विंध्याचल थाना कोतवाली रोड के अक्षन, गरीब, कलाम, बबलू हाशमी, पप्पू ढोलक वाला समेत सात मुस्लिम परिवारों ने सहमति पर अपनी दुकान-मकान की भूमि की रजिस्ट्री की है। धार्मिक एकता बनाए रखने के लिए मुस्लिम समुदाय का यह कार्य प्रशंसनीय है, जो समूचे राष्ट्र को एकसूत्र में पिरोने का संदेश देता है।
धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा, रोजगार के भी अवसर
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट विंध्य कारिडोर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। दिसंबर 2023 तक निर्माण कार्य पूर्ण करने का लक्ष्य है। सुनहरे रंग का आकर्षक विंध्य कारिडोर मां विंध्यवासिनी की महिमा का अहसास कराएगा ही, दूर से ही दर्शकों को बर्बश अपनी ओर खींचेगा। विंध्यधाम का विकास होने से आस्था की डगर पर श्रद्धालुओं की राह आसान होगी ही, धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
कमलेश्वर शरण