डोकलाम पठार के पास चीनी सेना के निर्माण कार्यों ने भारत की चिंता बढ़ाई

– चीन ने अमो चू नदी घाटी में पीएलए सैनिकों के लिए अस्थायी ठिकाने बनाए

– भूटान-चीन सीमा विवाद को सुलझाने के लिए द्विपक्षीय वार्ता उन्नत चरण में

नई दिल्ली (हि.स.)। रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण डोकलाम पठार के पास पीएलए के संचार टावरों और सैनिकों के लिए करीब 1000 अस्थाई शेड का निर्माण करके ड्रैगन ने भारत की चिंता बढ़ा दी है। भारत-चीन-भूटान डोकलाम ट्राई-जंक्शन से बमुश्किल कुछ दूरी पर है, जहां सड़क निर्माण को लेकर 2017 में भारत और चीन के बीच तीव्र सैन्य गतिरोध हुआ था और 73 दिनों तक दोनों सेनाएं आमने-सामने डटी रही थीं। यह निर्माण भूटान में अमो चू नदी घाटी में किया गया है, जहां से भारत का सिलीगुड़ी गलियारा सीधी रेखा में है।

चीन के इन निर्माण कार्यों की तस्वीरें अब सामने आईं हैं, जिनमें अमो चू नदी घाटी में संचार टावरों के साथ-साथ पीएलए के सैनिकों के अस्थायी ठिकाने दिखाई देते हैं। यहां पीएलए के हजारों सैनिकों को रखने के लिए हाल के महीनों में लगभग 1,000 स्थायी सैन्य झोपड़ियों के साथ-साथ कई अस्थायी शेड बनाए गए हैं। 2017 में डोकलाम में भारतीय सेना की कड़ी जवाबी कार्रवाई का सामना करने के बाद पीएलए वैकल्पिक रास्ते से उसी रिज तक पहुंचने का प्रयास कर रही है, ताकि वह डोकलाम के पश्चिम में भारतीय सुरक्षा को बाईपास कर सके।

डोकलाम एक अलग-थलग पठार है, जहां 2017 से पहले चीन या भूटान के सुरक्षा बल मुश्किल से ही गश्त करने जाते थे लेकिन भारतीय सेना से गतिरोध होने के बाद यह इलाका रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हो गया है। चीनी सरकार ने 1960 में भूटान, सिक्किम और लद्दाख को ‘एकीकृत’ तिब्बत का हिस्सा होने का दावा किया था। इसके विपरीत भारतीय सेना का मानना है कि डोकलाम के पश्चिम में चीन-नियंत्रित भूटानी क्षेत्र में किसी भी गतिविधि से भारत के सुरक्षा हितों को खतरा होगा। भारतीय सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि डोकलाम पठार पर नियंत्रण से चीन को सामरिक लाभ मिलेगा।

भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने 08-09 अप्रैल को उत्तर बंगाल और सिक्किम के अग्रिम इलाकों का दौरा किया। इस दौरान भारतीय अधिकारियों के साथ बैठक में बड़े पैमाने पर चीनी निर्माण कार्यों का उल्लेख किया गया। सिक्किम में भारतीय सीमा तिब्बत से सटी हुई है। तिब्बत में चुम्बी घाटी सिक्किम और भूटान के बीच स्थित है। दरअसल, लंबे समय से चले आ रहे भूटान-चीन सीमा विवाद को सुलझाने के लिए द्विपक्षीय वार्ता उन्नत चरण में पहुंच गई है। भारत की चिंता है कि भूटान अपने उत्तर के क्षेत्रों को बनाए रखने के लिए डोकलाम पठार चीन को सौंप सकता है, जिसके बाद चीन वहां से उत्तर बंगाल में संवेदनशील सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर सीधे नजर रख सकता है।

सुनीत/दधिबल

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