टेराकोटा : शिल्पकारों की ‘दीपावली’ को ‘रोशन’ करेगा ‘कलशदीप’
गोरखपुर (हि.स.)। कोरोना में व्यवसाय में लगातार गिरावट की मार झेल चुके टेराकोटा व्यापार को अब पंख लगने की उम्मीदें परवान चढ़ने लगीं हैं। दीपावली त्योहार पर बिकने वाली वस्तुओं की मुम्बई, हैदराबाद, नागपुर, बंगलौर, भोपाल, अहमदाबाद, बड़ौदा, दिल्ली और जयपुर से आ रही डिमांड की वजह से ‘एक जिला-एक उत्पाद’ में शामिल औरंगाबाद के टेरोकोटा शिल्पकारों की दीपावली रोशन होने की उम्मीदें जगीं हैं।
कोरोना वायरस के चपेट में आने के बाद औरंगाबाद के टेराकोटा के शिल्पकार काफी दिक्कत में थे। इससे लाभान्वित होने वाले सैकड़ों परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया था। वर्ष भर बिकने वाली 20 से अधिक वेराइटियों हाथी,घोड़े,हिरण,शेर, जिर्राफ (बांकुरा) के अलावा हाथी पॉट,गमला पॉट, हाथी टेबल, मछली टेबल, पालकी टेबल, जिर्राफ टेबल जैसे सामानों की बिक्री न के बराबर हो गयी थी। यातायात वाहनों की आवाजाही ने इनके सामानों की सप्लाई बंद कर रखी थी। अब जैसे-जैसे लॉकडॉउन की स्थिति कमजोर हो रही है, वैसे-वैसे टेराकोटा सामानों की डिमांड भी आने लगी है।
यहां से मिले ऑर्डर
पिछले सप्ताह औरंगाबाद से नासिक और अहमदाबाद को गई खेपों के बाद जयपुर का ऑर्डर लगा है। इससे लॉकडाउन में 10 प्रतिशत तक सिमट चुकी सप्लाई को अब ऑक्सीजन मिलने की उम्मीद जगी हैं। मुम्बई, हैदराबाद, नागपुर, बंगलौर, भोपाल, अहमदाबाद, बड़ौदा, दिल्ली और जयपुर से आ रही डिमांड को लेकर टेराकोटा के शिल्पकार काफी उत्साहित हैं।
दीपावली को लेकर है खास तैयारी
लक्ष्य स्वयं सहायता समूह के अध्यक्ष लक्ष्मीचंद प्रजापति का कहना है कि डिमांड आने से टेराकोटा शिल्पकारों में काफी उत्साह है। दीपावली की तैयारियां चल रहीं है। दीपावली और दशहरा को ध्यान में रखकर समान तैयार किये जा रहे हैं। 50 से 70 लाख रुपये तक व्यवसाय होने की उम्मीद है।
दीपा स्टैंड पॉट की है अधिक डिमांड
त्योहारों को लेकर जिन सामानों के बनाने की प्रक्रिया चल रही है उनमें दीपा नाम के स्टैंड पॉट की डिमांड अधिक है। इसके अलावा 11 दीपों वाले टू-लेयर दीप, 27 दीपों वाले थ्री-लेयर दीप के अलावा 5 दीपों वाले कलश दीप, नारियल दीप, मंदिर दीप और पांच से सात दीपों से सुसज्जित चक्रधारदीप का निर्माण हो रहा है।
वैदिक पूजा विधान को ध्यान में रखकर बनाये जा रहे टेराकोटा समान
लक्ष्मीचंद प्रजापति की मानें तो टेराकोटा के सामानों का निर्माण वैदिक पूजा-पद्धति को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। इनका उपयोग कर नक्षत्रों, ग्रहों, सप्तर्षियों, पञ्च महाभूतों आदि की पूजन की जा सकती है। ‘लक्ष्मी-गणेश’ की मूर्तियों से सुसज्जित इन सामानों का उपयोग दीपावली और दशहरा के पूजन में भी होता है। कछुआ दीप में चारों ओर दीप-मालिका बनाई गई है तो दीपों से घिरे कुछ सामानों को घुंघरुओं से सजा आकर्षक बनाया गया है।