जानें कितना पानी साथ लेकर चलते हैं मानसून वाले बादल

कानपुर(हि.स.)। मानसून वाले बादल एक वर्ग मील के क्षेत्र में गिरने वाली एक इंच बारिश 17.4 मिलियन गैलन पानी के बराबर होती है, इतना पानी लगभग 143 मिलियन पौंड वजन का होगा! यानि कई सौ हाथियों के वजन के बराबर होता है, यह अनुमान वैज्ञानिकों का है। यह जानकारी मंगलवार को चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विज्ञान विश्वविद्यालय कानपुर के मौसम विभाग के वैज्ञानिक डॉ.एस.एन.सुनील पांडेय ने दी।

उन्होंने बताया कि बादल तब बनते हैं जब हवा का कोई क्षेत्र ठंडा होकर भाप को द्रव में बदल देता है, वो हवा जहाँ बादल बनते हैं, जलवाष्प को संघनित (गैस से द्रव में परिवर्तन) करने के लिए पर्याप्त ठंडी होनी चाहिए। पानी हवा में मौजूद डस्ट, बर्फ या समुद्री नमक, जिन्हें संघनन नाभिक (Condensation nuclei) कहा जाता है, के साथ संघनित होता है।

किसे कहते है उच्च स्तर के बदल

ऊँचे बादल आसमान में कुछ किलोमीटर ऊंचाई पर बनते हैं, जिनकी सटीक ऊंचाई उस तापमान पर निर्भर करती है जहाँ वे बनते हैं, ये बादल 5 से 13 किलोमीटर की ऊंचाई पर होते हैं।

किसे कहते हैं निम्न स्तर के बादल

निम्न स्तर के बादल नीचे बादल धरती की सतह से एक या दो किलोमीटर की ऊंचाई पर बनते हैं, हालांकि ये बादल भूमि को छूते हुए भी बन सकते हैं जिन्हें फोग्ग कहा जाता है।

किसे कहते है मध्य स्तर के बादल

मध्य स्तर के बादल निम्न स्तर और उच्च स्तर के बादलों के बीच में बनते हैं. इनकी ऊंचाई धरती की सतह से 2 से 7 किलोमीटर के बीच होती है.

सिरस बादल (Cirrus Clouds) ये बादल पतले और धुंधले होते हैं, और हवा के साथ मुड़े हुए होते हैं. दिखने में ये छोटे और बिखरे हुए होते हैं जो बालों की तरह दिखाई देते हैं और काफी ऊंचाई पर होते हैं। दिन के समय में ये दूसरे बादलों की अपेक्षा अधिक सफ़ेद दिखाई देते हैं। सूरज उगते समय या छिपते समय ये सूर्यास्त के रंग की तरह दिखाई देते हैं।

कुमुलस बादल

इन्हें कपासी बादल भी कहा जाता ह, ये आकार में बड़े और फुले हुए होते हैं। ये बादल आसमान में किसी विशाल रुई के गोले या दूसरे आकार में दिखाई देते हैं। मध्य स्तर के बादलों की तरह ये बादलों की समानांतर धारियां भी बना सकते हैं।

किसे कहते है स्ट्रेटस बादल

स्ट्रेटस इन्हें फैले हुए बादल कहा जाता है। ये बादलों की चादर बनाते हैं जो आसमान को ढक लेते हैं, इस तरह के बादल हल्की बूंदा-बांदी या थोड़ी बर्फ गिरा सकते हैं। ये बादल जमीन के ऊपर कोहरा होते हैं जो सुबह का कोहरा उठने या किसी क्षेत्र में कम ऊंचाई पर ठंडी हवा के बहने से बनते हैं।

कैसे होती है बारिश

मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि बादल कैसे बनते हैं यह तो आपने जान लिया, अब बात करते हैं बारिश कैसे होती है के बारे में बादल ठंडे होने पर इसमें मौजूद भाप द्रव में बदल जाती है। इसे हम संघनन प्रक्रिया कहते हैं, लेकिन बारिश होने के लिए यह काफी नहीं है। पहले तरल बूंदे जमा होती हैं और फिर बड़ी बूंदों में बदलती हैं, जब ये बूंदे भारी हो जाती हैं तो बादल इन्हें होल्ड नहीं कर पाते हैं और ये बूंदे जमीन पर बारिश के रूप में गिरने लगती हैं, पानी के आसमान से नीचे गिरने की प्रक्रिया को वर्षण कहा जाता है।

जाने कितने प्रकार की होती है वर्षा

यह वर्षण अनेक रूप में हो सकता है, यह बारिश (rainfall), ओले गिरना, हिमपात इत्यादि के रूप में हो सकता है, जब पानी तरल के रूप में गिरने की बजाय बर्फ के टुकड़ों के रूप में गिरता है तो उसे ओले कहते हैं। जब पानी किसी ठोस के रूप में गिरता है तो उसे हिमपात कहते हैं, इसके अलावा सर्दियों के मौसम में पानी बिल्कुल छोटी-छोटी बूंदों के रूप में बरसता है जिसे हम ओस (कमू) कहते हैं।

कैसे पता चला है कि कितनी हुई वर्षा

अगर देखा जाए तो पुरे भारत में एक सामान्य वर्ष के दौरान 116 बउ प्रति घंटे के हिसाब से बारिश होती है, यानी की भारत के प्रत्येक क्षेत्र में पूरे वर्ष के दौरान औसतन यह वैल्यू दर्ज की जाती है, अगर किसी स्थान पर बादल फटता है तो वह साल में उस स्थान पर होने वाली बारिश का 10 से 12 प्रतिशत सिर्फ एक घंटे में बारिश कर देगा ।आप अब खुद सोच सकते हैं कि जब बादल तैरते हैं तो ये हल्के फुल्के नहीं होते बल्कि अपने साथ खासा वजन लेकर चलते हैं।

राम बहादुर//बृजनंदन

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