जब राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में लखनऊ की मेहमान नवाजी देख गदगद हो गए थे प्रणब दा
-राष्ट्रपति बनने पर पूरी इमानदारी से जिम्मेदारी निभाने का किया था वादा
लखनऊ। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन के बाद जहां शोक संवेदनाओं का सिलसिला जारी है। वहीं देश की सियासत के कद्दावर नेता रहे प्रणब दा की वर्ष 2012 में लखनऊ से जुड़ी यादें भी ताजा हो गई हैं।
यूं तो प्रणब मुखर्जी का अपने राजनीतिक करियर में लखनऊ आना नहीं हुआ। लेकिन, 2012 में जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान उन्हें भारत के प्रथम नागरिक बनने का मौका मिला तो वह देश की सियासत के अहम केन्द्र उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पूरे जोश और उत्साह से पहुंचे।
प्रणब दा पहली बार लखनऊ पहुंचे और बेहद प्रसन्न होकर सियासी दलों का समर्थन लेकर वापस आए। उत्तर प्रदेश में उन्हें सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष का भारी समर्थन मिल। लखनऊ की मेहमान नवाजी ने उनका मन मोह लिया। उस समय उनके चेहरे के भाव पर पहले से ही जीत की खुशी का भाव झलकर रहा था। अपनी यात्रा के समापन पर उन्होंने सभी दलों का शुक्रिया भी कहा।
प्रणब दा के लम्बे राजनीतिक अनुभव और योग्यता को देखते हुए प्रदेश की सभी प्रमुख पार्टियां भी उनके साथ खड़ी नजर आईं। तब सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी, मुख्य विपक्षी दल बसपा, केन्द्र में शामिल अजित सिंह के नेतृत्व वाली रालोद, पीस पार्टी, कौमी एकता दल, अपना दल, निर्दलीय विधायक और तत्कालीन जेल मंत्री राजा भैया समेत सभी निर्दलीयों ने प्रणब दा को समर्थन देने की घोषणा की।
तब समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने ममता बनर्जी को झटका देते हुए कहा था कि प्रणब मुखर्जी बहुत ही अनुभवी, योग्य और विद्वान सांसद रहे हैं। देश के सर्वोच्च पद के लिए ऐसे ही काबिल व्यक्ति की जरुरत है। मुलायम ने इससे पहले ममता बनर्जी के साथ अपने तीन नाम बताए थे। बाद में प्रणब दा की उम्मीदवारी का समर्थन करते हुए उन्होंने मीडिया से कहा था कि वह केवल सुझाव दिया था।
वहीं बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फेंस में कहा था कि हमने राष्ट्रपति पद के लिए आए सभी नामों पर विचार किया। इसमें से प्रणब मुखर्जी को हमारी पार्टी ने सबसे योग्य उम्मीदवार माना है और हमने प्रणब मुखर्जी का समर्थन करने करने का फैसला किया है।
लखनऊ दौरे के दौरान प्रणब मुखर्जी ने समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव और उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ लंच लिया तो शाम को कांग्रेस के विधायकों के साथ चाय पार्टी में शामिल हुए और रात में बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ डिनर में शिरकत की।
खास बात रही कि प्रणब मुखर्जी के लिए सपा ने जो लंच दिया उसमें अवधी व्यंजनों के बजाए बंगाली फिश फ्राई, माछेर झोल, चिकन-मटन, जलेबी, रबड़ी के साथ खास तौर पर कुल्हड़ों में बंगाली मिष्टी दोई परोसी गई। वहीं बसपा ने भी दादा की खातिरदारी में कोई कसर नहीं छोड़ी और माछेर भात, आलू पोस्तो, रोसोगोल्ला के साथ अवधी वेज और नान वेज व्यंजन परोसे।
मुलायम ने कहा कि उन्होंने ही दादा का नाम राष्ट्रपति पद के लिए सुझाया था और वह भारी बहुमत से जीतेंगे। दूसरी तरफ बसपा सुप्रीमो मायावती ने दादा को आसान जीत का भरोसा दिलाया। इन दोनों पार्टियों के अलावा दूसरे दलों का समर्थन पाकर गदगद यूपीए उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी ने कहा कि जीत के लिए उत्तर प्रदेश जरूरी है।
उन्होंने ये भी कहा कि राष्ट्रपति पद की गरिमा का उन्हें पूरा अहसास है, राष्ट्रपति बनने पर पूरी इमानदारी से जिम्मेदारी निभाऊंगा। उन्होंने बसपा को धन्यवाद देते हुए कहा, ‘मैंने हमेशा डॉक्टर अम्बेडकर के बनाए संविधान की भाईचारे और समानता की भावना और धर्म निरपेक्षता की मूल भावना से काम किया है। आगे भी मेरी कोशिश होगी कि मैं इन मूल्यों का पालन करते हुए अपनी भूमिका निभाऊं।’ इसके बाद प्रणब दा राष्ट्रपति बने और अपने दायित्वों को बेहद अच्छी तरह से निर्वहन किया।