गौ आधारित प्राकृतिक खेती से संरक्षित होगा मानव जीवन: डॉ. खलील खान
कानपुर(हि.स.)। गौ आधारित प्राकृतिक खेती से किसानों की आय बढ़ने के साथ ही अंधाधुंध कीटनाशकों एवं जहरीले दुष्प्रभाव को रोकने में बड़ी कामयाबी मिलेगी। इससे मानव जीवन में बढ़ रहे रोगों पर भी लगाम लगेगी। यह बात बुधवार को विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस के मौके पर सीएसए के मृदा वैज्ञानिक डॉ. खलील खान ने कही। उन्होंने कहा कि किसान अत्यधिक उर्वरकों व अंधाधुंध कीटनाशकों के प्रयोग व इसके जहरीले दुष्प्रभाव को भी समझने लगे हैं और गौ आधारित प्राकृतिक खेती की तरफ उनका खिंचाव बढ़ रहा है।
रसायन मुक्त वाली फसलों में लाभ अधिक
मृदा वैज्ञानिक ने बताया कि बिना रसायन का प्रयोग किए फसलें जैसे टमाटर,आलू, भिंडी, प्याज, खीरा, कद्दू व अन्य सब्जियों से दोगुना मुनाफा कमाया जा सकता है। किसान भाइयों से अपील है कि समय के साथ मानव जीवन को सुरक्षित करने के लिए बदलाव करने की आवश्यकता है। इस तरह की खेती से आमदनी बढ़ाया जा सकता है। बस प्रयास शुरू करने की देरी है।
कैसे तैयार करें प्राकृतिक रसायन
प्रो. खलील खान ने बताया कि जीवामृत बनाने के लिए 200 लीटर का एक ड्रम लेकर उसमें 180 लीटर पानी, 10 किलो देशी गाय का गोबर, 5 लीटर गोमूत्र, 1 किलो बेसन,1 किलो गुड़ आदि का घोल बनाकर ड्रम में डाल देते हैं। तथा जूट के बोरे से ढक कर छायादार स्थान पर रख देते हैं। फिर इसे खेतों में प्रयोग करते हैं,जिससे मृदा की उर्वरता शक्ति बढ़ती है और मिट्टी नमी संजोए रखती है। जिससे कम सिंचाई की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि गौ आधारित प्राकृतिक खेती द्वारा खेती करने पर लागत कम आती है और गुणवत्ता युक्त उत्पाद होता है, जिससे मानव शरीर में बीमारियां कम होती हैं।
राम बहादुर/सियाराम