गोरखपुर विश्वविद्यालय और एनआईईएलआईटी के बीच एमओयू
गोरखपुर (हि.स.)। भारत के पूर्वी क्षेत्र में छात्रों के लिए एक सुनहरा अवसर क्षितिज पर है। वजह, उन्हें जल्द ही भविष्य के कौशल, डिजिटल कौशल और उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण मिलने की राह आसान होगी। इसको लेकर गोरखपुर विश्वविद्यालय और एनआईईएलआईटी के बीच समझौता हुआ है।
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन और राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईईएलआईटी) के महानिदेशक डॉ. मदन मोहन त्रिपाठी ने सोमवार को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। इससे पूर्वांचल के छात्रों को कौशल विकास के विभिन्न क्षेत्रों में ऊंची उड़ान का मौका मिलने की उम्मीद जगी है।
इस समझौता के दौरान भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के सचिव एस. कृष्णा और भारत सरकार के अर्थशास्त्री कुंतल सेनशर्मा भी मौजूद रहे। इनके आलावा 47 एनआईईएलआईटी क्षेत्रीय केंद्रों के निदेशक उपस्थित रहे।
यह होगा लाभ
इस समझौता के तहत दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय और एनआईईएलआईटी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), साइबर सुरक्षा जैसी विशेषज्ञताओं, सूचना प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स, संचार और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विभिन्न कार्यक्रमों की योजना और कार्यान्वयन करेंगे। इनके अलावा साइबर कानून, डेटा विज्ञान और उभरती प्रौद्योगिकियों को भी जानने का मौका मिलेगा। यह कार्यक्रम लगभग 350 संबद्ध कॉलेजों के छात्रों और शिक्षकों की जरूरतों को पूरा करेगा। उल्लेखनीय है कि यह सहयोग भारतीय शैक्षिक नीति ढांचे और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है, जो विभिन्न कौशल-आधारित क्षेत्रों में भारतीय युवाओं की क्षमता और कौशल के निर्माण पर जोर देता है। इस साझेदारी का प्राथमिक उद्देश्य उद्योग और शिक्षा जगत के बीच की खाई को भरना और युवाओं को ग्रीष्म कालीन इंटर्नशिप, प्लेसमेंट, फील्ड विजिट, कार्यशालाओं और सम्मेलनों जैसे क्षेत्रों में उद्योग के लिए तैयार करना है।
कुलपति ने कहा
कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन का कहना है कि यह सहयोग विश्वविद्यालय और संबद्ध कॉलेज के छात्रों के बीच कौशल विकास के लिए अत्यधिक फायदेमंद होगा। यह छात्रों को इंटर्नशिप से गुजरने में सक्षम बनाएगा, जो अब इसका एक हिस्सा है।
डॉ. आमोदकांत /दिलीप