कौन थे भारत के पहले आईएएस?
नालेज डेस्क
भारत की सबसे पहले आईएस कौन थे? सिर्फ पहले अफसर ही नहीं बने, बल्कि पूरे देश को गौरवान्वित किया। विश्व भर में भारत के आलोचकों के मुँह पर जोरदार तमाचा मारने वाले सबसे पहले भारतीय? दरअसल अंग्रेज़ कभी नहीं चाहते थे कि भारतीय लोग ऊंचे पदों पर बैठें। इसलिए 1854 से पहले ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए काम करने वाले सिविल सर्वेंट को पहले कंपनी के निदेशकों द्वारा चुना जाता था। फिर इसके बाद इन्हें लंदन के “हेलीबरी कॉलेज“ में ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता और फिर यहां से ट्रेनिंग पूरी करने के बाद ही उनको भारत में तैनात किया जाता था। मगर 1854 में सिविल सर्विस परीक्षा कमीशन के गठन के बाद विद्यार्थियों में प्रतिस्पर्धा शुरू हुई। मगर तब भी भारतीयों को नीचा दिखाने के लिए अंग्रेज़ां ने सिलेबस को बहुत ज्यादा कठिन बना दिया, जिससे कोई भी भारतीय इसको पास न कर सके और इसका परिणाम निकला भी कुछ ऐसा ही कि अगले 10 साल तक कोई भी भारतीय इस परीक्षा को पास नहीं कर पाया। परन्तु हम हिंदुस्तानी यदि कुछ ठान लें तो भला कोई हमारे इरादों को कभी तोड़ पाया है। अंग्रेज़ां की मंशा के बिल्कुल विपरीत 1864 में “सत्येंद्र टैगोर“ जो रबिंद्रनाथ टैगोर के भाई थे, उन्होने सर्वप्रथम इस परीक्षा को पास कर भारतीयों का सर गर्व से ऊंचा किया और फिर तो ये सिलसिला शुरू हो गया। इसके तीन वर्ष बाद यानी 1867 में चार छात्रों ने एक साथ सिविल सर्विस क्लियर कर देश के सम्मान में चार चांद लगा दिए।
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