केस्को में 1.68 लाख के घोटाले का हुआ खुलासा, 90 लाख बरामद

-छह आरोपियों की हुई गिरफ्तारी, अन्य की तलाश जारी

कानपुर (हि.स.)। कानपुर बिजली आपूर्ति कंपनी (केस्को) में हुए 1.68 करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा पुलिस कमिश्नरेट कानपुर नगर की क्राइम ब्रांच की साइबर सेल, स्वाट व सर्विलास टीम ने बुधवार को कर दिया है। शातिरों ने पेमेंट गेटवे के यूआरएल में बदलाव कर पैसे ट्रांसफर किये हैं। साइबर सेल ने एक-एक तार को जोड़ते हुए ठगी के पूरे मामले का राजफास कर दिया है।

साइबर सेल की टीम ने अब तक छह अभियुक्तों को गिरफ्तार करते हुए करीब 90 लाख रुपये की बरामदगी भी कर ली है। अब तक की जांच में कुछ और नाम भी प्रकाश में आए हैं जिनकी गिरफ्तारी के लिए टीमें अलग-अलग जनपदों में दबिश दे रही हैं। खुलासा करने वाली टीम को पुलिस आयुक्त बीपी जोगदंड द्वारा एक-एक लाख रुपये के दो इनाम देने की घोषणा की है।

केस्को के उपभोक्ता अपने बिजली के बिलों का भुगतान आईसीआईसीआई बैंक के गेटवे के माध्यम से ऑनलाइन करते हैं। भुगतान के बाद आइसीआइसीआइ बैंक केस्को के खाते में धनराशि भेजता है। बीते दिनों जब केस्को ने भुगतान का मिलान किया तो पता चला कि 18 जून से लेकर 16 जुलाई तक करीब 1905 उपभोक्ता द्वारा जमा किया गया करीब 1.68 करोड़ रुपये केस्को को मिला ही नहीं। इस पर केस्को की तरफ से ग्वालटोली थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया। उसमें कहा गया कि 18 से 23 जून तक केस्को के 679 उपभोक्ताओं के 44.92 लाख रुपये आईसीआईसीआई बैंक के गेटवे में छेड़छाड़ कर दूसरे खाते में ट्रांसफर लिए गए। इसके बाद एक से 16 जुलाई तक 1102 उपभोक्ताओं के जमा 1.03 करोड़ रुपये उसी तरह की चपत लग गई। 17 जुलाई को एक-एक उपभोक्ता के भुगतान का सत्यापन और बैंक खाते में आए भुगतान का मिलान कराया। इसमें यह सामने आया कि बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं ने भुगतान तो किया है लेकिन धनराशि बैंक ने ट्रांसफर नहीं की है। पता चला कि गेटवे में छेड़छाड़ कर दूसरे खाते में करीब 1.68 करोड़ रुपये का भुगतान लिया गया है।

22 जुलाई को मुकदमा लिखे जाने के बाद पुलिस कमिश्नरेट की क्राइम ब्रांच की साइबर सेल ने मामले की जांच शुरू की और एक-एक तार जोड़ना शुरू किया। इससे सामने आ रही जानकारियों पर साइबर सेल समेत पुलिस की चार टीमों को मेरठ, बागपत और उसके आसपास के शहरों में भेजा गया। वैज्ञानिक व केस्को इलेक्ट्रानिक के साक्ष्यों के आधार पर हुई जांच में यह साफ हो गया कि यह काम हैकर्स का है। हैकर्स हर एक दो घंटे बाद केस्को के गेटवे के यूआरएल में छेड़छाड़ करके ऑनलाइन जमा हो रही धनराशि को अपने खाते में ट्रांसफर कर रहे थे। यह खाता आईसीआईसीआई बैंक के जनपद बड़ौत की शाखा में केस्को इलेक्ट्रानिक के नाम से खुले करंट एकाउंट में भेजा और वहीं से निकाला जा रहा है। यह करंट एकाउंट बागपत निवासी सुमन पत्नी योगेंद्र के नाम पर खुला है। पूरे खेल में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की प्रमुख भूमिका है जिसने गेटवे का यूआरएल चेंज कर पैसा ट्रांसफर किया है।

बिजली ठेकेदार भी शामिल

अब तक की जांच में सामने आया कि बिजली ठेकेदार विवेक शर्मा ने बागपत में बैठकर 22 खाते खुलवाए थे। खाताधारक सुमन और उसके पति योगेन्द्र को भी साइबर सेल ने पकड़ लिया है। योगेन्द्र ने बताया कि वह बिजली विभाग के ठेकेदार विवेक शर्मा के सम्पर्क में था। उसी के कहने पर योगेन्द्र ने केस्को इलेक्ट्रॉनिक के नाम पर खाता खुलवाया था। इनमें से पैसा निकालने वाले तीन आरोपितों को भी साइबर सेल ने दबोच लिया है। अब तक की जांच में कई अन्य लोगों के नाम भी प्रकाश में आए हैं। उनकी तलाश में पुलिस टीमें दबिश दे रही हैं।

महमूद/सियाराम

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