‘कूड़ा कचरेदानी में, सोएं मच्छरदानी में’ का दिया सन्देश

सीफार के सहयोग से फाइलेरिया के प्रति जागरूकता को लेकर नुक्कड़ नाटक का मंचन

संवाददाता

गोंडा। ‘कूड़ा कचरेदानी में, सोएं मच्छरदानी में’ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कर्नलगंज के परिसर में इस नारे के गूंजते ही इधर-उधर बैठे लोग और टीकाकरण के लिए कतार में लगी महिलाएं शेल्टर होम के पास एकत्रित होने लगीं। क्षेत्रवासियों के हुजूम को देखकर आकार फाउंडेशन के नाट्य कलाकार भी उत्साहित होकर वाद्य यंत्रों की धुन पर बुलावा गीत गाने लगे। बड़ी संख्या में लोगों के एकत्र होने के बाद इन कलाकारों ने सेंटर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से फाइलेरिया जागरुकता को लेकर नुक्कड़ नाटक का मंचन किया।
सीएचसी अधीक्षक डॉ सुरेश चंद्रा की अगुवाई में आयोजित नुक्कड़ नाटक में कलाकारों ने एक ग्रामीण परिदृश्य की कहानी के माध्यम से लोगों को फाइलेरिया के प्रति जागरुक करने का प्रयास किया। कलाकार शाश्वत शुक्ला ने सुखदेव, ललिता कुमारी ने डॉक्टर, सपना शर्मा ने आशा, अविनाश ने रामधनी व मोहित ने गोपाल का किरदार निभाते हुए लोगों को बताया कि एक विशेष प्रकार के मच्छर के काटने से फाइलेरिया बीमारी होती है। इसलिए जरूरी है कि मच्छरों से बचें, अपने घर के आस-पास पानी न रूकने दें, पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें और रात को मच्छरदानी लगा कर सोएं द्य साल में एक बार सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम (एमडीए राउंड) के दौरान फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन जरूर करें। इस मौके पर क्षेत्रवासी अमिताभ पाठक ने कहा कि फाइलेरिया के बारे में इतनी ज्यादा जानकारी नहीं थी, लेकिन आज के इस नाटक से पता चला कि फाइलेरिया के कारण होने वाले हाइड्रोसील की तो सर्जरी हो जाती है, लेकिन हाथ, पैर, स्तन या शरीर के अन्य अंगों का सूजन पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है। वहीं पिंकी गुप्ता ने बताया कि नुक्कड़ नाटक में एक दूसरों में फैलने वाली बीमारियों से बचाव के बारे में अच्छी जानकारी मिली। इस मौके पर बीपीएमएम संजय कुमार, बीसीपीएम सुरेन्द्र कुमार, अर्पण पाण्डेय व आशा कार्यकर्ता रमा पाठक समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

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वहीं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खरगूपुर अंतर्गत संचालित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रुपईडीह में प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ पूनम यादव के निर्देशन में नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया। इसमें कलाकारों ने लोगों को बताया गया कि फाइलेरिया बीमारी से बचाव के लिए खिलाई जाने वाली डीईसी और एल्बेडाजॉल गोली दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर रूप से बीमार लोगों को नहीं खिलाई जाती है। यह दवा खाली पेट नहीं खानी है। नुक्कड़ नाटक देख रहे तमाम लोगों ने बताया कि गांव की आशा कार्यकर्ता उन लोगों को यह दवा खिला चुकी हैं। इस मौके पर क्षेत्रवासी अलखराम चौहान ने बताया कि नाटक में फाइलेरिया या हाथी पांव कुरूपता और अपंगता की बीमारी होने के बारे में जानकारी मिली तथा इस बीमारी से बचाव का सबसे सरल और आसान उपाय साल में एक बार चलने वाले मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) राउंड के दौरान पांच साल तक लगातार फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करने में भी बताया गया। वहीं केशवराम ने बताया कि हमें यह जानकारी मिली कि आशा और आंगनबाड़ी जब भी हमारे घर दवा खिलाने पहुंचें, तो हमें दवा का सेवन अवश्य करना चाहिए। इस दौरान डॉ शिव कुमार व फार्मासिस्ट वीरेंद्र प्रताप व पीएचसी के समस्त कर्मचारियों समेत बड़ी संख्या में क्षेत्रवासी उपस्थित रहे।

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