किसानों के बीच रोल मॉडल हैं रामसागर, बेर से जीवन में भर रहे हैं ”मिठास”

– कम लागत में ज्यादा कमाई

– पारंपरिक खेती से निराश हो शुरू किया किसानी में नया प्रयोग

रायबरेली (हि. स.)। खेती-किसानी को घाटे का धंधा मानने वालों के लिए यह गौर करने वाली बात है कि उन्हीं के बीच का एक किसान आज न केवल आत्मनिर्भर हुआ है बल्कि खेती की बदौलत कइयों को रोज़गार भी दे रहा है और किसानों के रोल मॉडल बन गया है। मन में यदि दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो लक्ष्य आसानी से मिल सकता है,बिना किसी सरकारी सहायता के यह काम किया है। रायबरेली के किसान रामसागर पांडे ने।

महराजगंज के पुरासी गांव के रहने वाले रामसागर ने कश्मीरी बेर की खेती शुरू की और अब उनकी किस्मत बदल रही है। कभी किसानी में हो रहे घाटे से परेशान थे और अब लाखों कमा रहे हैं। रामसागर पांडे ने पारंपरिक खेती से हटकर बागवानी को चुना और इसे ही अपना व्यवसाय बना लिया। इसके लिए उन्होंने कश्मीरी बेर की बागवानी का फ़ैसला लिया।

उन्होंने इसके पौधे बंगाल से मंगा कर पहले डेढ़ हेक्टेयर जमीन पर लगवाए और बाग तैयार किया। आज इस बागान से वह लाखों रुपए कमा रहे हैं। दरअसल धान गेहूं की खेती करके मुनाफा कमाने का उन्होंने प्रयास किया पर हर बार निराशा हाथ लगी। इस दौरान उन्होंने यूट्यूब चैनल पर बेर की खेती का वीडियो देखा और कृषि विभाग के सहयोग से यह बाग तैयार कर डाला और अब वह लाखों रुपये की आमदनी कर रहे हैं, बागवानी को ही उन्होंने अपना कैरियर बना लिया है।

राम सागर पांडेय ने बेर की बागवानी के लिए दो प्रकार की प्रजातियों का चयन किया। उन्होंने थाई व कश्मीरी एप्पल के एक हजार पौधे लाकर डेढ़ हेक्टेयर में लगाए। थाई एप्पल बेर हरा और कश्मीरी एप्पल सेब के कलर का होता है। एक बेर का वजन 50 ग्राम से 200 ग्राम तक हो सकता है, पहले साल में 20-25 किलो उत्पादन प्रति पौधे के हिसाब से प्राप्त हुआ था। यह कानपुर मंडी में 60-70 रुपये प्रति किलो की दर से बिक गया था। 10 क्विंटल बेर यहीं के फल व्यापारी बाग से ही खरीद कर ले गये, उन्होंने भी बेरो का नगद भुकतान किया था, पहले साल 2 लाख रुपये की बिक्री कर हुई थी, अब वो खुद के रोजगार के साथ अन्य लोगो को भी रोजगार दे रहे है।

राम सागर पाण्डेय ने डेढ़ हेक्टेयर में कोलकाता से कश्मीरी बेर के कई बार में 1000 पौधे मंगाकर लगाये थे। इन पौधों की उन्होंने बेहतरीन तरीके से देख-रेख की। बेर के अलावा इसी बाग में 10 पेड़ नासपाती, 11 पेड़ आलूबुखारा, 10 अंजीर, 15 आम के पौधे लगाए हैं। इसके बाद कृषि वैज्ञानिकों से बागवानी की पूरी जानकारी ली और मेहनत कर अपने बाग को ही अपना रोजगार बना लिया, अब राम सागर पांडेय यहां उन फलों को भी पैदा कर रहे है जो रायबरेली जैसे छारीय जमीन वाले स्थानों में होना संभव ही नही है। क्षेत्र के किसान उनसे प्रेरित हैं और उन्हें बागवानी का रोल मॉडल मानते हैं। किसान रामसागर पांडे बताते हैं कि करीब 2 हेक्टेयर में वह बेर की खेती कर रहे हैं जिसमें करीब 50 से 60 हजार प्रति हेक्टेयर की लागत आती है और लगभग 5 लाख से ज्यादा की फसल वह बेचते हैं। जिससे उन्हें मुनाफा भी अच्छा हो रहा है। इस खेती की बदौलत ही उनके जीवन स्तर में सुधार आया है। जहां वह पहले किसानी से निराश थे वहीं अब उनके लिए यह एक फैशन हो गया है।

रजनीश

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