कानपुर में बचे हुए पांच नालों को भी बंद करने की तैयारी: जी.के. चौधरी
कानपुर(हि.स.)। नमामि गंगे मिशन के तहत कानपुर शहर से कुल अट्ठारह बड़े नाले थे, जिनमें से 13 नालों को पूरी तरह से बंद किया जा चुका है और गन्दे पानी को संशोधित करके उसे किसानों को सिंचाई के लिए दिया जा रहा है। जबकि पांच नालों के गन्दे पानी को स्वच्छ करने की जिम्मेदारी नगर निगम उठा रहा है। आने वाले समय में उन्हें भी पूरी तरह से बंद कर दिया जायेगा। यह जानकारी सोमवार को उत्तर प्रदेश जल निगम के परियोजना प्रबंधक ई.जी.के.चौधरी ने दी।
उन्होंने बताया कि कानपुर शहर में बीते नौ वर्ष में क्लीन गंगा और नमामि गंगे मिशन के तहत अब तक गंगा में जा रहे गंदे पानी को रोक करके, उसे संशोधित करने के बाद सिंचाई के लिए किसानों को दिया जा रहा है।
शहर के सबसे बड़े नाले सीसामऊ नाला को पूरी तरह बंद करके गंदे पानी को एसटीपी के माध्यम से शुद्ध किया करके गंगा किसानों को सिंचाई के लिए दिया जा रहा है। पनकी एसटीपी ट्रायल हो चुका है। जाजमऊ की एसटीपी तैयार हो चुका है। इसके साथ ही पांडु नदी में पवैया एसटीपी भी बनकर तैयार हो चुका है। बनियापुर एसटीपी भी तैयार हो चुका है जो जुलाई 2020 से संचालित हो रहा है।
श्री चौधरी ने बताया कि जिन पांच नालों के पानी को बायो ट्रीटमेंट प्लाट के माध्यम से संशोधित करते हुए पानी को गंगा में अब भी छोड़ा जा रहा है। हालांकि बच्चे हुए पांच नालों को बंद करने की तैयारी हो रही है। इसका डीपीआर भी तैयार हो चुका है। शासन को मंजूरी के लिए भेजा गया है।
हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद बन गए अवैध निर्माण
श्री चौधरी ने बताया कि जहां एसटीपी बनाया गया है और नालों की टैपिंग की गई है उसके आगे लगातार निर्माण होते जा रहे हैं। जिससे नालों में जाने वाला गंदा पानी रोकना नामुमकिन होता जा रहा है। जो भी प्रयास अबतक किए गये वह नाकाफी हो चुका है। हाईकोर्ट के निर्देश के बावजूद अवैध मकान और फ्लैट बन रहे हैं। उस पर काबू पाने में कानपुर विकास प्राधिकरण पूरी तरह से फल साबित हो चुका है। जिस समय एसटीपी बनाया गया था, वह बस्ती से काफी दूर था लेकिन अब हालात बदल चुके हैं निर्माण और आगे तक हो गए हैं, जिससे नालों में गंदा पानी जा रहा है, जिसे लोग मुद्दा बना रहे हैं।
राम बहादुर/मोहित