एसएसबी कमान्डेन्ट का तबादला रोकने के एकल जज का आदेश रद्द
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एसएसबी कमांडेंट का स्थानांतरण रोकने का एकल न्यायपीठ का आदेश रद्द कर दिया है।
एकल पीठ ने कमाडेंट के स्थानांतरण पर मानवीय आधार पर रोक लगाई थी। जिसे खंडपीठ ने अनुचित करार देते हुए कहा कि सामान्य परिस्थिति में किए गए स्थानांतरण में अदालत के दखल देने का औचित्य नहीं है। केंद्र सरकार ने एकल न्यायपीठ के आदेश को विशेष अपील दाखिल कर चुनौती दी थी। अपील पर मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति एसडी सिंह की पीठ ने सुनवाई की।
गोरखपुर में तैनात राकेश कुमार भारतीया एसएसबी में सहायक कमाडेंट (मेडिकल ऑफिसर) हैं। उनकी पत्नी भी गोरखपुर में ही इसी पद पर तैनात हैं। मई 2019 में उनका स्थांतरण छत्तीसगढ़ के अनंतराग में कर दिया गया। स्थानांतरण रोकने के लिए राकेश कुमार ने केंद्र सरकार को प्रत्यावेदन दिया। जिसे सरकार ने अस्वीकार कर दिया तो उन्होंने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। एकल न्यायपीठ ने माना कि स्थानांतरण नौकरी का अहम हिस्सा है और अदालत विशेष परिस्थतियों के सिवाय इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती। मगर राकेश कुमार के दिव्यांग बच्चे की देखभाल और उनकी पत्नी के पीजी कोर्स में दाखिले को देखते हुए कोर्ट ने स्थानांतरण पर रोक लगा दी थी।
इस आदेश को केंद्र सरकार ने विशेष अपील में चुनौती दी। केंद्र सरकार का कहना था कि दोनों अधिकारी अपनी नियुक्ति के समय से लेकर हमेशा सॉफ्ट पोस्टिंग पर रहे हैं। विभाग की ओर से उनकी कठिनाई को देखते हुए कई बार उनको स्थानांतरण न करने की सहूलियत दी जा चुकी है। उनको पहली बार हार्ड पोस्टिंग दी गई है।
खंडपीठ ने कहा कि याची को पहले भी विभाग की ओर से कई बार सहूलियतें दी जा चुकी हैं। अब विभाग अगर ऐसी सहूलियत देने को तैयार नहीं है तो यह पूरी तरह से प्रशासनिक मामला है। हाईकोर्ट का इस मामले में हस्तक्षेप का औचित्य नहीं है। स्थानांतरण आदेश में कोई कमी नहीं है। कोर्ट ने केंद्र सरकार की अपील स्वीकार करते हुए एकल पीठ का आदेश रद्द कर दिया है।