उपभोक्ता परिषद ने कहा, अभियंताओं को बिजली अधिनियमों के प्रशिक्षण की है जरूरत
– घर में है दुकान तो घरेलू बिजली प्रयोग पर चोरी नहीं असेस्मेंट का बनता है मामला
लखनऊ(हि.स.)। सुलतानपुर जिले में विद्युत विभाग के अधीक्षण अभियंता ने घर के आंशिक भाग में दुकान चलाने और बिजली कनेक्शन घरेलू लेने के मामले में बिजली चोरी का मुकदमा दर्ज कराने पर उपभोक्ता परिषद ने आपत्ति जताई है। राज्य उपभोक्ता परिषद ने कहा कि इस संबंध में अभियंताओं को बिजली चोरी के संबंध में अधिनियमों का प्रशिक्षण देने की जरूरत है। कानून से अनभिज्ञता के कारण उपभोक्ताओं का उत्पीड़न हो रहा है।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने गुरुवार को कहा कि इस तरह के मामले विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135.1 के अंतर्गत नहीं, धारा 126 के अंतर्गत आते हैं। नियामक आयोग इस संबंध में विधिवत कानून में संशोधन भी कर दिया है। इसके बावजूद अभियंताओं को यह जानकारी नहीं है। इससे उपभोक्ताओं का उत्पीड़न हो रहा है।
अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि लंबी लडाई के बाद वर्ष 2009 में विद्युत नियामक आयोग ने विद्युत वितरण संहिता में संशोधन करते हुए यह कानून बनाया कि कोई भी घरेलू विद्युत उपभोक्ता जिनका भार पांच किलो वाट तक है। यदि उनका मीटर पूरी तरीके से काम कर रहा है और वह अपने घरेलू परिसर पर आंशिक भाग में यदि दुकान चलाते हुए पाए जाएंगे। ऐसी हालत में उन पर बिजली चोरी का कोई मुकदमा दर्ज न करके केवल विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 126 के तहत असेसमेंट की कार्रवाई की जाएगी।
इसको लेकर उपभोक्ता परिषद ने वर्ष 2018 में पावर कार्पोरेशन प्रबंधन से एक लिखित आदेश भी जारी कराया था कि इस प्रकार की घटना आगे न हो और विद्युत वितरण संहिता के प्रावधानों के अनुसार ही कार्रवाई की जाए। शायद आज बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता यदि विद्युत नियामक आयोग द्वारा बनाए गए कानून पावर कार्पोरेशन प्रबंधन द्वारा जारी महत्वपूर्ण आदेश को पढ़े होते तो इस प्रकार का तुगलकी फरमान न सुनाते।
उपेन्द्र