आम के पेड़ को गुजिया एवं मिज कीट से बचायें : उद्यान निदेशक
– आम के पेड़ों के लिए नवम्बर व दिसम्बर माह होता है महत्वपूर्ण
लखनऊ(हि.स.)। निदेशक उद्यान, डा. आरके तोमर ने आम उत्पादकों को सतर्क किया है। उन्होंने कहा कि आम की अच्छी उत्पादकता के लिए पेड़ को सम-सामयिक हानिकारक कीटों से बचाने की जरूरत है। आम के पेड़ों के लिए नवम्बर और दिसम्बर माह महत्वपूर्ण होता है। इस माह में गुजिया एवं मिज कीट का प्रकोप प्रारम्भ होता है, जिससे फसल को काफी क्षति पहुंचती है।
उन्होंने बताया कि गुजिया कीट के शिशु जमीन से निकल कर पेड़ों पर चढ़ते हैं और मुलायम पत्तियों, मंजरियों एवं फलों से रस चूसकर क्षति पहुंचाते हैं। इसके शिशु कीट 1-2 मिमी लम्बे एवं हल्के गुलाबी रंग के चपटे तथा मादा वयस्क कीट सफेद रंग के पंखहीन एवं चपटे होते हैं। इस कीट के नियंत्रण के लिए बागों की गहरी जुताई व गुड़ाई की जाय तथा शिशु कीट को पेड़ों पर चढ़ने से रोकने लिए माह नवम्बर-दिसम्बर में आम के पेड़ के मुख्य तने पर भूमि से 50-60 सेमी की ऊंचाई पर 400 गेज की पालीथीन शीट की 50 सेमी चौड़ी पट्टी को तने के चारों ओर लपेट कर ऊपर व नीचे सुतली से बांध कर पॉलीथीन शीट के ऊपरी व निचली हिस्से पर ग्रीस लगा देना चाहिए, जिससे कीट पेड़ों के ऊपर न चढ़ सके। इसके अतिरिक्त शिशुओं को जमीन पर मारने के लिए दिसम्बर के अंतिम या जनवरी के प्रथम सप्ताह से 15-15 दिन के अन्तर पर दो बार क्लोरीपाइरीफॉस (1.5 प्रतिशत) चूर्ण 250 ग्राम प्रति पेड़ के हिसाब से तने के चारों ओर बुरकाव करना चाहिए। अधिक प्रकोप की स्थिति में यदि कीट पेड़ों पर चढ़ जाते हैं तो ऐसी दशा में मोनोक्रोटोफॉस 36 ई0सी0 1.0 मिली0 अथवा डायमेथोएट 30 ई0सी0 2.0 मि0ली0 दवा को प्रति ली0 पानी में घोल बनाकर आवश्यकतानुसार छिड़काव करें।
उद्यान निदेशक ने बताया कि इसी प्रकार आम के बौर में लगने वाले मिज कीट मंजरियों, तुरन्त बने फूलों एवं फलों तथा बाद में मुलायम कोपलों में अण्डे देती हैं, जिसकी सूड़ी अन्दर ही अन्दर खाकर क्षति पहुंचाती है। इस कीट के नियंत्रण के लिए यह आवश्यक है कि बागों की जुताई व गुड़ाई की जाय तथा समय से कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करना चाहिए। इसके लिए फेनिट्रोथियान 50 ई0सी0 1.0 मि0ली0 अथवा डायजिनान 20 ई0सी0 2.0 मि0ली0 अथवा डायमेथोएट 30 ई0सी0 1.5 मि0ली0 दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर बौर निकलने की अवस्था पर एक छिड़काव करने की सलाह दी जाती है।
उद्यान निदेशक ने कीटनाशक के प्रयोग में बरती जाने वाली सावधानियां के बारे में बताया कि कीटनाशक के डिब्बों को बच्चों व जानवरों की पहुंच से दूर रखना चाहिए। कीटनाशक का छिड़काव करते समय हाथों में दस्तानें, मुंह को मास्क व आंखों को चश्मा पहनकर ढक लेना चाहिए, जिससे कीटनाशी त्वचा व आंखों में न जाय। कीटनाशक का छिड़काव शाम के समय जब हवा का वेग अधिक न हो तब करना चाहिए अथवा हवा चलने की विपरीत दिशा में खड़े होकर करना चाहिए। कीटनाशक के खाली पाउच व डिब्बों को मिट्टी में दबा देना चाहिए।
उपेन्द्र