अपनों को संभालने में विफल सपा को कांग्रेस दे सकती है झटका

लखनऊ (हि.स.)। कांग्रेस और बसपा के उम्मीदवारों की सूची अब तक न आना। कांग्रेस से सीट बंटवारे के बाद सपा द्वारा भी कोई सूची न दिये जाने से राजनीतिक गलियारे में कयासों का दौर शुरू हो गया है। सपा अपनों को संभाल पाने में ही असफल होती जा रही है।कांग्रेस ने अब तक बसपा पर डोरे डालने की कोशिशें कर रही है। यदि कांग्रेस का तालमेल बसपा के साथ हो जाता है तो समाजवादी पार्टी से बड़ी संख्या में नेता बिखर जाएंगे।

समाजवादी पार्टी में असंतोष के स्वर पिछले साल नवम्बर में ही सुनाई देने लगे थे, जब खीरी संसदीय क्षेत्र से दो बार सांसद रहे कद्दावर नेता रवि प्रकाश वर्मा ने सपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। वे उस समय पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव थे। सपा ने जब राज्यसभा में तीन उम्मीदवार उतारे तब असंतोष भगदड़ में तब्दील हो गया। इस बीच बुधवार को पूर्व मंत्री संजय गर्ग ने भाजपा का दामन थाम लिया। उधर, सपा महासचिव पद से इस्तीफा देने वाले सलीम शेरवानी ने बदायूं में अपने समर्थकों की बैठक की और सेक्यूलर उम्मीदवार को समर्थन देने के लिए विचार किया गया। सपा से स्वामी प्रसाद मौर्य पहले इस्तीफा दे चुके हैं। मनोज पांडेय बगावत का झंडा बुलंद कर रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में यदि कांग्रेस बसपा के साथ गठबंधन कर लेती है तो समाजवादी पार्टी की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी।

सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस बार-बार बसपा के साथ गठबंधन के लिए कोशिशें कर रही है। समाजवादी पार्टी से गठबंधन तो उसकी मजबूरी है, लेकिन बसपा से गठबंधन कर वह बढ़त बनाना चाहती है। यदि बसपा से गठबंधन में सपा अड़चनें डालती है तो वह उसे भी दरकिनार कर सकती है, क्योंकि कांग्रेस को लगता है कि यदि बसपा से उसका गठबंधन होता है तो उसको ज्यादा फायदा दिख रहा है।

उपेन्द्र/मोहित

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