अन्नदाता अब ऊर्जादाता भी बन रहे हैं : प्रो.डी. स्वाईन
– एनएसआई में गन्ना किसानों ने उत्पादन की आधुनिकतम तकनीकों एवं उन्नत प्रजाति की जानकारी ली
कानपुर (हि.स.)। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआई) कानपुर में गन्ना किसान संस्थान, मुरादाबाद के नेतृत्व में 22 किसानों का एक दल संस्थान के भ्रमण करने पहुंचा। इनका मुख्य उद्देश्य गन्ना उत्पादन की आधुनिकतम तकनीकों एवं आधुनिक उन्नत प्रजाति के गन्ने की जानकारी ली।
इस अवसर पर किसान दल का स्वागत करते हुये संस्थान के निदेशक प्रो.डी. स्वाईन ने किसानों के आगमन पर हर्ष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि किसान तो अन्नदाता हैं। ये अन्नदाता अपने खेतों में गन्ने की फसल उगाकर चीनी मिलों को सप्लाई करते हैं। गन्ने की पेराई के उपरांत बचे अवशेष (खोई) से बिजली का उत्पादन किया जाने लगा है। इस प्रकार अन्नदाता अब ऊर्जादाता भी हो गये हैं।
डॉ.अशोक कुमार, सहायक आचार्य (कृषि रसायन) ने गन्ने की उपजाऊ प्रजातियों के साथ मिट्टी की जांच तथा उसके अनुरूप ऊर्वरकों के प्रयोग संबंधी सारगर्भित जानकारी दी। डॉ.अशोक कुमार ने किसानों को कई उन्नत तकनीकों के बारे में भी बताया जिनका उपयोग कर किसान कम मेहनत और कम समय में ज्यादा कार्य कर सकते हैं।
किसानों के दल को संबोधित करते हुये संस्थान के डॉ. लोकेश बाबर, कनिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी (कृषि रसायन) ने कम लागत में एवं अपेक्षाकृत कम क्षेत्रफल एवं कम पानी में अधिक उत्पादन देने वाली गन्ने की विभिन्न प्रजातियों से किसानों को अवगत करवाया। डॉ. बाबर ने गन्ना उत्पादन के दौरान आने वाली विभिन्न समस्याओं, गन्ने को नुकसान पहुंचाने वाले विभिन्न कीटों के उपचार आदि के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी।
जैव रसायन अनुभाग प्रमुख, प्रो.(डॉ.) सीमा परोहा ने कहा कि अंधाधुंध रासायनिक ऊर्वरकों का प्रयोग प्रकृति और खेत दोनों के लिये घातक हो सकता है। यह सिंचाई के दौरान पानी में मिलकर जमीन में जा रहा है जिससे भूजल बहुत अधिक दूषित हो रहा है और उससे तमाम बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं। अब समय आ गया है कि किसानों को परंपरागत गोबर खाद और बायो कंपोस्ट की और ध्यान देना चाहिये। इसको अपनाने से हम मानव स्वास्थ्य और वातावरण दोनों की रक्षा कर सकते हैं।
अवनीश/मोहित