अनोखी परम्परा : गाय और सूकर में मुकाबला कराकर खेली गई दिवाली

– सूकर के बेदम होते ही लट्ठमार दिवाली देखने को उमड़ा जन सैलाब

हमीरपुर(हि.स.)।जिले में गोवर्धन पूजा के बाद यहां सैकड़ों साल पुरानी की अनोखी दिवाली खेली गई, जिसमें एक सूकर (सुअर) के बच्चे और गाय के बीच लड़ाई करते हुए लट्ठमार दिवाली खेली गई। इस लड़ाई में सूकर बेदम भी हो गया। अनोखी परम्परा के तहत होने वाली गाय और सूकर की लड़ाई देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ भी जुटी।

बुन्देलखंड के हमीरपुर समेत सभी जिलों के ग्रामीण इलाकों में सूकर और गाय की लड़ाई कराकर दिवाली खेलने की परम्परा सदियों पुरानी है। हमीरपुर जिले के दर्जनों गांवों में आज यह परम्परा देखने के लिए लोगों की भीड़ एकत्र हुई। हमीरपुर शहर के रहुनियां धर्मशाला के मैदान में बुधवार को गोवर्धन पूजा के बाद दोपहर दिवाली नृत्य टोलियों ने पहले तो सूकर का रोली अक्षत से टीका किया, फिर उसे रस्सी से बांधकर गाय के आगे फेेंक दिया गया। यहां गाय ने सींगों से सूकर को उठा-उठाकर पटका, जिससे वह बेदम हो गया। सूकर के बेदम होते ही यहां लट्ठमार दिवाली जमकर खेली गई।

पूर्व सभासद संजय साहू ने बताया कि रहुनियां धर्मशाला के मैदान में दिवाली खेलने की यह अनोखी परम्परा सैकड़ों साल पुरानी है जिसमें हर साल परेवा के दिन एक सूकर के बच्चे से गाय का मुकाबला कराया जाता है। मुकाबले में सूकर कुछ घंटे तक तो लड़ता है फिर वह बेदम हो जाता है। बताया कि सूकर और गाय की लड़ाई के बाद अब रात भी दिवाली नृत्य की टोलियां शहर भर में दिवाली खेलेगी।

जिले के मुस्करा क्षेत्र के खड़ेहीलोधन गांव में आज मौन चराने के दो घंटे बाद गांव में सूकर को रस्सी से बांधकर दिवाली खेलने वाली टोलियों ने गांव की गलियों से उसे घसीटते हुए मैदान ले गए, जहां गाय से सूकर की लड़ाई कराई गई।

गांव के महिपाल, अर्जुन यादव, सुरेन्द्र, चंदन पाल ने बताया कि सुअर के एक बच्चे के माथे पर अक्षत व रोली का टीका लगाकर उसे रस्सी से बांधकर लाया गया, फिर उसे दिवाली खेलने वालों को सौंप दिया गया। इसके बाद सूकर को पूरे गांव की गलियों से घसीटते हुए गांव के सभी मंदिरों के रास्ते होकर ले जाया गया। बताया कि दिवाली खेलने के दौरान गाय और सूकर से मुकाबला कराया गया, जिसमें गाय ने सींगों से उठाकर सूकर को जमीन पर कई बार पटककर बेदम कर दिया। जिले के सुमेरपुर, मौदहा, राठ, कुरारा सहित अन्य ग्रामों में भी यह अनोखी परम्परा की दिवाली खेली गई।

इसलिए निभाई जाती है दिवाली की यह अनोखी परम्परा

गोविन्द इंटर काॅलेज के प्रधानाचार्य बलराम सिंह राजपूत व खड़ेहीलोधन गांव के पूर्व सरपंच राजाराम तिवारी ने बताया कि पूर्वजों से गाय व सूकर की लड़ाई कराने की परम्परा चली आ रही है। इसे बुराई पर अच्छाई के विजय के रूप में मनाया जाता है। बताया कि एक बार सूकर के रूप में एक दैत्य ने पृथ्वी पर यदुवंशियों के ऊपर घोर अत्याचार किया था। भगवान श्रीकृष्ण ने गौ का रूप धारण कर अपने खुरों से उसका वध कर दिया था। तभी से सूकर और गाय के बीच लड़ाई को निभाने की परम्परा होती आ रही है। इसमें गाय के साथ सूकर की भी पूजा होती है। इसके बाद मौन पूजा का कार्यक्रम होता है।

पंकज

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