अदानी इलेक्ट्रिकल की ओर से दाखिल जवाब सार्वजनिक करने की मांग
-गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर में सामानांतर विद्युत वितरण लाइसेंस के लिए नियामक आयोग में दाखिल याचिका का मामला
लखनऊ(हि.स.)। गौतमबुद्धनगर और गाजियाबाद के लिए सामानांतर विद्युत वितरण लाइसेंस की याचिका के संदर्भ में अदानी इलेक्ट्रिकल जेवर लिमिटेड ने नियामक आयोग में अपना जवाब दाखिल कर दिया है। नियामक आयोग ने आठ मई को सुनवाई के दौरान कई बिंदुओं पर जवाब मांगा था। अब राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने जवाब को सार्वजनिक करने की मांग की है।
इस संबंध में उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा सोमवार को नियामक आयोग के चेयरमैन और सदस्यों से मिले और लोक महत्व की याचिका दाखिल की। उन्होंने याचिका के माध्यम से कहा कि अदानी की दाखिल जवाब को सार्वजनिक किया जाय, जिससे उत्तर प्रदेश की जनता भी जान सके की अदानी ग्रुप अपने वित्तीय पैरामीटर पर क्या कहना चाहता है? विद्युत नियामक आयोग ने पावर काॅरपोरेशन से नोएडा व गाजियाबाद क्षेत्र के संपूर्ण क्षेत्र पर अनेकों तकनीकी व वित्तीय पैरामीटर पर जानकारी मांगी गई थी।
उपभोक्ता परिषद ने आयोग चेयरमैन के सामने यह मुद्दा उठाया कि पावर काॅरपोरेशन जिस प्रकार से चुपचाप तमाशा देख रहा है और याचिका में सम्मिलित तक नहीं हुआ और अब उस क्षेत्र से संबंधित जानकारी देने में भी देरी कर रहा है। इससे यह सिद्ध होता है कि पावर काॅरपोरेशन दबाव में काम कर रहा है, जो जनहित में बिल्कुल नहीं है।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि गाजियाबाद काॅरपोरेशन व नोएडा क्षेत्र के लिए अदानी ग्रुप द्वारा वितरण का समानांतर लाइसेंस मांगा गया है और पावर काॅरपोरेशन जो वर्तमान में उस क्षेत्र में काम कर रहा है। वह चुप्पी साधे हुए हैं, ना तो पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम याचिका में सम्मिलित हुआ और ना ही पावर काॅरपोरेशन ऐसे में विद्युत नियामक आयोग को अदानी ग्रुप के सभी उत्तर को पब्लिक डोमेन में डालकर सार्वजानिक करना चाहिए। उपभोक्ता परिषद प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के हित में हर लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है और समय आने पर पावर काॅरपोरेशन का भी पर्दाफाश किया जाएगा कि वह चुप क्यों है।
आयोग ने अपने फैसले में अदानी ग्रुप की याचिका पर जो सवाल उठाए गए थे, उसमें प्रमुख रूप से अदानी ग्रुप की जो कुल असेट वह 12666.37 करोड़ और वहीं देनदारी की बात करें तो देनदारी 8689.56 करोड़ है। अदानी ट्रांसमिशन कंपनी ने अन सिक्योर इक्विटी इंस्ट्रूमेंट में 3131.28 करोड़ दिखाया गया है। जो भी देनदारी में सम्मिलित ही होगा। इस प्रकार अदानी ट्रांसमिशन लिमिटेड की कुल देनदारी 11820.84 करोड़ होगी। अब यदि अदानी ट्रांसमिशन लिमिटेड की शुद्ध संपत्ति में से कुल नेट वर्थ निकाली जाएगी, तो वह लगभग 846 करोड़ होगी। वही भारत सरकार द्वारा जारी रूल के तहत अदानी ट्रांसमिशन लिमिटेड ने जो वितरण नेटवर्क पर खर्च करने की कुल लागत दिखाई गई है। वह लगभग 4865 करोड़ है। इसके हिसाब से यदि इसका 30 परसेंट नेट वर्थ निकाली जाए तो वह लगभग 1459 करोड़ होगी जो अदानी की कुल नेटवर्थ 846 करोड़ से कहीं ज्यादा है। ऐसे में वित्तीय मानक पर भी अदानी ट्रांसमिशन लिमिटेड को लाइसेंस नहीं मिल सकता।
उपेन्द्र/राजेश