अग्निशमन सेवा सप्ताह की शुरूआत, शहीद कर्मियों को दी गई मौन श्रद्धांजली
– फायर रैली को मुख्य अग्निशमन अधिकारी ने हरी झण्डी दिखाकर किया रवाना
वाराणसी(हि.स.)। चेतगंज स्थित फायर ब्रिगेड स्टेशन पर रविवार को अग्निशमन सेवा स्मृति दिवस मनाया गया। इस अवसर पर शहीद कर्मियों को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजली अर्पित की गई।
इसके बाद अग्निशमन सेवा सप्ताह में मुख्य अग्निशमन अधिकारी आनन्द सिंह राजपूत ने पहले दिन फायर रैली को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। रैली चेतगंज, नई सड़क, गिरजाघर चौराहा, लक्सा, कमच्छा, रथयात्रा, सिगरा, इंग्लिशिया लाइन, कैण्ट, अंधरापुल, नदेसर, वरुणापुल, कचहरी, गोलघर चौराहा, पुलिस लाइन चौराहा, मकबूल आलम रोड, चौकाघाट, जगतगंज, लहुराबीर होते हुए वापस फायर स्टेशन चेतगंज, वाराणसी पर आकर समाप्त हुई।
अग्नि शमन अधिकारी सुनील सिंह ने बताया कि 14 अप्रैल सन 1944 को मुंबई बंदरगाह पर हुए एक भीषण अग्निकांड में बचाव कार्य करते हुए 66 अग्निशमन कर्मियों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। उन दिवंगत अग्निशमन कर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिये ही प्रतिवर्ष इस दिन अग्नि शमन सेवा स्मृति दिवस मनाया जाता है। 14 अप्रैल से 20 अप्रैल तक अग्नि सुरक्षा सप्ताह मनाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इस बार अग्निशमन सुरक्षा सप्ताह में प्रचार-प्रसार का संकल्प है अग्निसुरक्षा सुरक्षा सुनिश्चित करें, राष्ट्रीय निर्माण में योगदान दें। उन्होंने बताया कि 14 अप्रैल से 20 अप्रैल के मध्य अग्निशमन सेवा सप्ताह मना कर जन-जन तक अग्निकाण्ड से निवारण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। अग्नि दुर्घटना के अतिरिक्त मानव जाति की सेवा में जवानों का पूरा सहयोग एवं समर्पण रहा है। इसके लिए जन मानस को इन पर गर्व है। हमारी सेवा केवल जनपद या प्रान्त तक ही सीमित नहीं है। बरन पूरे राष्ट्र व आवश्यकता पड़ने पर मानवता की रक्षा के लिए अन्तर राष्ट्रीय स्तर पर भी उत्कृष्ठ सेवा देने के लिए भी सदैव तत्पर रहते हैं।
उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष वाराणसी में कुल अग्निकाण्डों की संख्या 45 रही। जिसमें 03 मनुष्य व 09 पशु की आग में जलने के कारण मृत्यु हो गयी । 08 मनुष्यों व 05 पशुओं की जान बचाई गयी। इसी तरह वर्ष 2024 मार्च तक फायर सर्विस, वाराणसी में कुल अग्निकाण्डों की संख्या 194 रही। इसमें 02 मनुष्य की आग में जलने के कारण मृत्यु हो गयी। उन्होंने कहा कि जलती दुनियां को बचाना है, पहला अपना काम,अंगारों पर चलते हैं हम, क्या सुबह-क्या शाम।
श्रीधर/राजेश