अगले वर्ष दो एम्स शुरू होने पर एसजीपीजीआई के सामने चुनौती, प्रतिस्पर्धा के लिए हो तैयार : योगी आदित्यनाथ
-संस्थान की ओपीडी शुरू नहीं होने पर बोले अगर डॉक्टर ही भाग जाएगा तो क्या होगा?
-एसजीपीजीआई के 37वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में हुए शामिल
लखनऊ (हि.स.)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सोमवार को राजधानी के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) के 37वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने प्रदेश में अगले वर्ष दो एम्स शुरू होने को लेकर एसजीपीजीआई के सामने नई चुनौतियों का जिक्र किया और उसे प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार रहने की नसीहत दी। उन्होंने संस्थान की ओपीडी अभी तक नहीं शुरू होने पर कहा कि चिकित्सक ओपीडी में जाने से घबराएंगे तो मरीज का क्या हाल होगा। एसजीपीजीआई की जो साख है, उस ओर खरा उतरना होगा।
एसजीपीजीआई को मिली सात करोड़ रुपये की धनराशि मुख्यमंत्री ने कहा कि एसजीपीजीआई और पॉवर ग्रेट कॉर्पोरेशन इंडिया लिमिटेड ने एमओयू पर हस्ताक्षर किया है। इसके तहत सात करोड़ रुपये की धनराशि एसजीपीजीआई को प्रदान की जा रही है। इसके लिए उन्होंने पॉवर ग्रेट कॉर्पोरेशन इंडिया लिमिटेड का धन्यवाद दिया।
टेली मेडिसन आज की बेहद अहम आवश्यकतामुख्यमंत्री ने कहा कि वास्तव में टेली मेडिसन आज की आवश्यकता है। हम लोगों ने कोरोना के खिलाफ चल रही देश की लड़ाई को प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाने में टेलीमेडिसिन की उपयोगिता को बहुत नजदीक से महसूस किया है। लॉकडाउन के बाद जब कोरोना के मामले बढ़े, तब हमारे सामने चुनौती थी कि स्वाभाविक रूप से प्रदेश के अंदर इतनी बड़ी आबादी को संक्रमण से भी बचाया जाए और जो लोग कोरोना की चपेट में आ गए थे, उन्हें बेहतर उपचार देकर सुरक्षित करने की व्यवस्था बनायी जाए। इसके लिए हर एक जनपद में डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल बनाए गए। जहां पर हमारे पास मेडिकल कॉलेज थे, वहां पर वहां पर मेडिकल कॉलेजों को इसे बनाया गया। जहां पर मेडिकल कॉलेज क्यों नहीं थे वहां पर जिला अस्पताल को या फिर राज्य सरकार की किसी खाली बिल्डिंग को 300 बेड के कोविड हॉस्पिटल के रूप में विकसित किया गया।
संक्रमण के दौरान शुरू किए गए वर्चुअल आईसीयू रहे सफलमुख्यमंत्री ने कहा कि हम लोगों ने हर जिले के लिए कमांड ऐंड कंट्रोल सेंटर भी बनाए थे। मुख्यमंत्री कार्यालय और चिकित्सा शिक्षा मंत्री का कार्यालय ने इस दौरान मरीजों, चिकित्सकों आदि से संवाद बनाने का कार्य किया। इस दौरान सामने आया कि हमारे पास प्रदेश में कई जगह विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है। तब हम लोगों ने प्रदेश के अंदर के चिकित्सका संस्थानों एसजीपीजीआई, केजीएमयू, डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान (आरएमएलआईएमएस) को इस बात की जिम्मेदारी दी गई कि ये वर्चुअल आईसीयू प्रारंभ करें। मुख्यमंत्री ने कह कि एसजीपीजीआई ने जो वर्चुअल आईसीयू यहां से प्रारंभ किया वह बेहद सफल रहा। अधिकतर मेडिकल कॉलेजेस को हमने इसके माध्यम से जोड़ा। वहीं आज प्रदेश के छह चिकित्सा संस्थानों को टेलीमेडिसिन की आईसीयू की सुविधा के साथ जोड़ने के लिए पॉवर ग्रेट कॉर्पोरेशन इंडिया लिमिटेड ने मदद की है, इसके लिए कॉर्पोरेशन को हृदय से बधाई।
एसजीपीजीआई के इतिहास में 37 वर्ष बेहद गौरवशाली मुख्यमंत्री ने कहा कि वास्तव में किसी भी संस्थान के लिए 37 वर्ष का समय अपने अपने को साबित करने का बहुत अच्छा समय होता है। इस अवधि में हम पता लगा सकते हैं कि संस्थान की दिशा क्या है संस्थान कहां जा रहा है और संस्थान के सामने आगे का भविष्य कैसा है। उन्होंने कहा कि अगर कहा जाए कि यह 37 वर्ष एसजीपीजीआई के इतिहास में बहुत गौरवशाली रहे हैं। एक नए विश्वास के साथ प्रदेश ही नहीं बल्कि आसपास के राज्य भी एसजीपीजीआई को देखते हैं, ये बड़े गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि वहीं हमारे सामने आगे की चुनौतियां भी हैं। आगे की तैयारी के लिए हम सबको अपने आप को अपडेट करना होगा।
एसजीपीजीआई को एम्स की तरह मान्यता का विरोधी मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां संभावना होती है, लोगों की अपेक्षाएं भी वहीं होती है और जहां पर लोगों को लगता है कि कि कुछ नहीं कर सकते वहां पर लोग अपेक्षा भी नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि अपेक्षाओं पर खरा उतरना ही हमारे जीवन को यशस्वी बनाता है। यही हमारे जीवन को अन्य लोगों के लिए यादगार बनाता है और फिर यह यात्रा आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक होती है। मुख्यमंत्री ने कहा यह चुनौती आज एसजीपीजीआई के सामने है। प्रदेश के अंदर अब एम्स जैसे संस्थान आ चुके हैं। उन्होंने कहा एसजीपीजीआई की ओर से उसे एम्स जैसी मान्यता मिलने की मांगे आती रहती थीं। मैं हमेशा इस बात का बेहद विरोधी रहा। तब मैं कहता था कि एसजीपीजीआई के पास स्वयं ही क्षमता है कि वह एम्स से आगे जा सकता है। उन्होंने कहा कि दरअसल हम लोगों की एक मानसिकता हो जाती है कि हम भी उसके पीछे चलेंगे। जबकि मेडिकल की फील्ड एक ऐसी फील्ड है, जहां पर हम लोग एजुकेशन, ट्रेनिंग और रिसर्च के माध्यम से अपने आप को साबित कर सकते हैं और एसजीपीजीआई की स्थापना के पीछे यही उद्देश्य था।
आगे की सोच रखे एसजीपीजीआईउन्होंने कहा कि एसजीपीजीआई ने इस दौरान अनेक महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल भी की। लेकिन, कहीं ना कहीं जो यह मानसिकता थी कि हमें भी समकक्ष होना चाहिए, उससे अब आगे सोचना होगा। नई सोच, नई प्रतिस्पर्धा के लिए एसजीपीजीआई को खड़ा होना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2020 तक एसजीपीजीआई प्रदेश में सबसे प्रतिष्ठित संस्थान के रूप में है। लेकिन, 2021 में उत्तर प्रदेश में दो नए एम्स गोरखपुर और रायबरेली में पूरी तरह से चालू होने वाले हैं। इसके साथ ही एम्स के समकक्ष संस्थान बीएचयू वाराणसी भी प्रारंभ हो रहा है और प्रदेश के अंदर अन्य संस्थानों को भी विकसित करने की कार्य योजना को हम लोग ने आगे बढ़ाया है।
सबसे अच्छा प्लेटफार्म एसजीपीजीआई के लिए उपलब्धमुख्यमंत्री ने कहा कि हालांकि एसजीपीजीआई में कार्य का दबाव बहुत ज्यादा है। लेकिन, मेरा मानना है कि जहां पर इतनी संभावना है। उन्हीं के बीच हमें अपनी संभावनाओं को आगे बढ़ाना है। मेडिकल का पूरा का पूरा सिस्टम ही ट्रीटमेंट पर आधारित है। इसके माध्यम से रिसर्च को आगे बढ़ाना है और इन संभावनाओं के लिए सबसे अच्छा प्लेटफार्म एसजीपीजीआई के लिए उत्तर प्रदेश उपलब्ध है। उस प्लेटफार्म का बेहतर उपयोग हम कैसे कर सकते हैं, इस दिशा में प्रयास करना और उसके लिए कार्य करना जरूरी है।
जिस संस्थान ने जैसा काम किया, जनता ने उनके प्रति वैसी प्रतिक्रिया की भी व्यक्तउन्होंने कहा कि एसजीपीजीआई अपनी तकनीकी को और बेहतर करें। एसजीपीजीआइ अपनी ओपीडी भी शुरू करे। अगर चिकित्सक ही भाग जाएगा तो क्या होगा। अधिकतर अस्पतालों ने ओपीडी शुरू कर दी है। एसजीपीजीआई क्यों नहीं कर पा रहा है ? एसजीपीजीआई के ट्रामा सेंटर को पहले कहा जा रहा था कि ये चलाएं वो चलाएं। लेकिन, हमने कहा कि एसजीपीजीआई का है तो वो क्यों नहीं चलाए। जब चलाया तो मरीज आज वहां से संतुष्ट होकर भी जा रहे हैं। जिस संस्थान ने अच्छा काम किया और जिसने बुरा काम किया, जनता ने उनके प्रति वैसी प्रतिक्रिया भी व्यक्त की। यह मोबाइल और टेक्नोलॉजी का जमाना है। कुछ छुप नहीं सकता। हम हर चीज पर नजर रखते थे कि कहां-कैसी सुविधाएं व कैसा खाना मिल रहा है।
तेजी से कदम नहीं बढ़ाने पर पीछे हो जाएगा संस्थानउन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत योजना की सुविधा भी गरीब मरीजों को मिलनी चाहिए। उन्हें बिना सिफारिश के मरीजों को सुविधा मिले। ऑर्गन, लिवर व हार्ट ट्रान्सप्लांट अब तक एसजीपीजीआई में प्रारंभ हो जाना चाहिए था। इसकी दिशा में तेजी से कदम बढ़ाने होंगे वरना हम पीछे हो जाएंगे। एसजीपीजीआई की जो साख है, उस ओर खरा उतरना होगा। छोटी-छोटी बातों पर कार्य बाधित नहीं होना चाहिए। अच्छा करेंगे तो यश मिलेगा और भागेंगे तो अपयश।
सरकार ने मेडिकल कॉलेज का बहुत अच्छा तंत्र किया विकसित मुख्यमंत्री ने कहा कि एक सामान्य व्यक्ति एसजीपीजीआई में नहीं आता है। जिला अस्पताल से मेडिकल कॉलेज होने के बाद ही कोई मरीज यहां आता है। हमने प्रदेश के अंदर मेडिकल कॉलेज का बहुत अच्छा तंत्र विकसित किया है। प्रदेश में 1947 से लेकर 2016-17 तक केवल 12 सरकारी मेडिकल कॉलेज बन पाए थे। वहीं 2017 से 2020 के बीच में हम लोग 30 नए सरकारी मेडिकल कॉलेज बना रहे हैं। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि कितनी तेजी से प्रदेश में इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए सरकार काम कर रही है। सभी जिलों के एडवांस लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिन्हें लगता है कि ये आज से पांच साल पहले का उत्तर प्रदेश है, उन्हें उत्तर प्रदेश का इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत कमजोर दिखायी देता है। वहीं जिन्होंने इसे नजदीक से देखा है, वे लोग इस बात के लिए आश्वस्त थे कि कोरोना की लड़ाई को हम बेहद मजबूती से जीतेंगे। हमने कहा था कि हम कोरोना की लड़ाई जीतेंगे। आज तमाम संस्थाएं हमारे प्रयासों की सराहना करने से खुद को रोक नहीं सके। इसमें एक-एक संस्थान का योगदान रहा।