विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से साक्षरता शिविर आयोजित
कोरोना से जागरूक रहने के लिए बताए गए उपाय
संवाददाता
श्रावस्ती। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के आदेश के अनुपालन में ‘कोविड-19 महामारी से बचाव एवं उपचार हेतु जागरूकता, वरिष्ठ नागरिकां के अधिकार एवं संरक्षण, प्ली बार्गेनिंग, श्रमिकां के अधिकार तथा कर्तव्य, शासन द्वारा संचालित योजनाओ की जानकारी‘ आदि विषयों पर विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन जूनियर हाईस्कूल सनौढा तराई में किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ सचिव प्रशांत कुमार सिंह ने किया।
प्राधिकरण के सचिव ने बताया कि कोरोना वैश्विक महामारी है। अब तक इस वायरस को फैलने से रोकने हेतु कोई टीका नहीं बना है। इसके संक्रमण के फलस्वरूप बुखार, जुकाम, सांस लेने में तकलीफ, नाक बहना, और गले मे खरास जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। संक्रमण हो जाने पर जब तक आप ठीक न हो जाएं, तब तक आप दूसरां से अलग रहें। इसके संक्रमण से बचने के लिए हाथों को साबुन से धोना चाहिए। अल्होकल आधारित हैंड सेनेटाइजर का इस्तेमाल करना चाहिए। खांसते या छींकते समय नाक और मुंह पर रूमाल या टिश्यू पेपर का इस्तेमाल करना चाहिए। मास्क को ऐसे पहनना चाहिए कि आपकी नाक मुंह और दाढी का हिस्सा उससे ढका रहे। सोशल डिस्टेसिंग का पालन करना चाहिए। उन्होंने बताया कि वरिष्ठ नागरिको के अधिकार कानूनन सुरक्षित हैं। किसी भी वरिष्ठ नागरिक को कोई परेशानी हो तो वह कानून की मदद ले सकता है। जिस तरह से किसी पेड़ को मजबूत होने के लिए उसका जमीन में गहरी जड़ होना जरूरी है, उसी तरह परिवार को फलने-फूलने व एक साथ रहने के लिए बुर्जग की जरूरत होती है। उन्होंने प्ली बारगेनिंग एवं श्रमिकों के अधिकार तथा कर्तव्य आदि विषयां पर विस्तार से चर्चा की।
न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रफुल्ल उपाध्याय ने कहा कि कोरोना मिलते-जुलते वायरस खांसी और छींक से गिरने वाली बूंदो के जरिये फैलता है। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए सार्वजनिक स्थान पर एकत्रित न हों। कोरोना एक विषाणु जनित रोग है, जिसने महामारी का रूप ले लिया है और समस्त संसार में तबाही मचा रहा है। इसकी शुरुआत जुकाम एवं खांसी मात्र से होती है, जो धीरे-धीरे चलकर एक विकराल रूप ले लेती है। इससे शरीर के अन्य अंग प्रभावित हो रहे हैं। कार्यक्रम में अपर सिविल जज (अवर खंड) शुभम द्विवेदी ने बताया कि जब कोई वायरस से संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है, तो उसके थूक के बेहद बारीक कण हवा मे फैलते हैं, इन कणां में कोरोना वायरस के विषाणु होते हैं। सोशल डिस्टेसिंग का मतलब होता है, एक दूसरे से उचित दूरी पर रहना ताकि संक्रमण के खतरे को कम किया जा सके। यही इसका एक मात्र बचने का उपाय है। कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु दत्त अस्थाना, ने बताया कि भारत मे कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ रहे हैं। घनी आबादी और कोरोना वायरस के तेजी से फैलते संक्रमण को देखते हुए भारत मे सोशल डिस्टेसिंग का पालन और अहम हो जाता है। उनके द्वारा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाने मे मदद करने वाले उपाय भी बताये गये। पुलिस निरीक्षक अशोक कुमार दूबे, अरविन्द कनौजिया, वीरेन्द्र कुमार, ग्राम प्रधान तारिक अहमद, गुलिस्ता आरा, स्वामी नाथ, लल्लू प्रसाद, रवि प्रकाश, सर्वेश कुमार, अनुराग गुप्ता, श्रम विभाग, ज्ञानेन्द्र आदि उपस्थित रहे।