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वाराणसी : श्री हरि चार माह के लिए योग निद्रा में गये, मांगलिक कार्य ठप

वाराणसी (हि.स.)। चराचर जगत के पालनहार श्री हरि भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी पर मंगलवार से पूरे चार माह योग निद्रा में रहेंगे। इस दौरान सभी मांगलिक कार्य ठप रहेंगे। इसी के साथ धर्म नगरी काशी में संतों का चातुर्मास भी शुरू हो गया। संत और महात्मा अब अपने आश्रम और मठों में पूरे चार माह प्रवास कर श्री हरि की आराधना करेंगे। इस दौरान कथा प्रवचन के साथ संत जप-तप, ध्यान योग करेंगे।

शिवाराधना समिति के संस्थापक अध्यक्ष डॉ मृदुल मिश्र ने ‘हिन्दुस्थान समाचार’ को बताया कि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। इसी दिन से संतों का चातुर्मास शुरू हो जाता है। चातुर्मास सावन, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक माह पूरे चार माह चलता है। उन्होंने बताया कि चातुर्मास में भगवान विष्णु पाताल लोक में शेषनाग पर चार महीने के लिए विश्राम करते हैं। स्वयं महालक्ष्मी इन चार महीनों में उनकी सेवा का दायित्व अपने हाथ में रखती हैं। इन चार महीनों में सृष्टि का संचालन देवों के देव महादेव करते हैं। चातुर्मास में ही महादेव का सबसे प्रिय महीना सावन भी शामिल है।

डॉ मृदुल ने बताया कि इन चार महीनो में आम आदमी की पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। इसके अलावा भोजन और जल में बैक्टीरिया की तादाद भी बढ़ जाती है। ऐसे में लोगों को संतुलित आहार ही लेना चाहिए। चातुर्मास में बिस्तर की बजाय फर्श पर सोना और सूर्योदय से पहले उठना बहुत शुभ माना जाता है। उठने के बाद स्नान ध्यान के समय मौन रहना चाहिए।

गौरतलब है कि ज्योतिष के नजरिये से भी इन चार माह का खास महत्व है। कर्क राशि की सूर्य संक्रांति होने के साथ ही वर्षा ऋतु एवं दक्षिणायन का आरम्भ होता है। इसमें सभी प्रकार की मांगलिक गतिविधियां स्थगित हो जाती हैं। देवशयनी से देवोत्थान एकादशी तक सूर्य और चंद्रमा की किरणें पृथ्वी पर कम पहुंचती हैं। पृथ्वी पर पानी की अधिक मात्रा रहती है। नदियां उफान पर होती हैं। इस कारण वातावरण में अनेक जीव-जंतु उत्पन्न हो जाते हैं। ऐसे में सेहत का ध्यान रखने के साथ जप-तप, ध्यान भी लोगों को करना चाहिए।

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