Thursday, July 10, 2025
Homeमंडललखनऊ मंडललखनऊ में विदेशी फूलों की खपत हुई कम, देशी फूलों के सहारे...

लखनऊ में विदेशी फूलों की खपत हुई कम, देशी फूलों के सहारे दुकानदार

लखनऊ (हि.स.)। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा विदेशी फूलों की खपत करने वाले लखनऊ में कोरोना संक्रमण काल के बाद भारी गिरावट आयी है। लखनऊ में विदेशी फूलों की खपत कम हुई है और देशी फूलों की बिक्री से दुकानदार अपना जीवन यावन कर रहे है।

कोरोना संक्रमण काल के दो अवधि बीतने में वैवाहिक, बड़े सांस्कृतिक, शैक्षणिक और राजनीतिक कार्यक्रमों में फूलों से सजावट नहीं के बराबर हो गयी है। दोनों कोरोना संक्रमण काल में बाहर से आने वाले फूलों की खपत तो बिल्कुल ही समाप्त कर दी है। जबकि जो लोग बाहर के फूलों को बड़े पैमाने पर मंगाये रखे थे, उनको करोड़ों का नुकसान भी हुआ है।

बड़े फ्लावर डेकोरेटरों की मानें तो वर्तमान हालात में आने वाले वर्ष तक स्थिति सामान्य होने में समय लगेगा। बीते दो वर्ष तो उनके लिये कड़वे अनुभव वाले रहे हैं। फूलों के कारोबार को सबसे ज्यादा नुकसान इसी अवधि में हुआ है। कुछ वैवाहिक कार्यक्रम में दुल्हा दुल्हन का स्टेज सजाने का काम नहीं मिला होता तो उन्हें पेट पालने की भी समस्या हो जाती।

फूलों की माला के विक्रेता छोटू ने बताया कि वह मंदिर के बाहर माला बेचता है। मंदिर के बाहर माला बेचते हुये प्रतिदिन दो सौ रुपये तक की माला बेच पाता है। जरुरी नहीं कि हर दिन दो सौ की माला बिके ही, किसी दिन सारी माला फेकनी भी पड़ती है। देशी फूलों के व्यापार ने उसे और उसके परिवार को जिंदा रखा हुआ है।

उन्होंने बताया कि विदेशी फूल महंगा है। विदेशी फूल 20 रुपये बंडल से लेकर 100 रुपये बंडल तक बिकता है। एक बंडल में 12 पीस होते है। विदेश से आने वाले फूल जलवेरा सर्वाधिक उपयोग में आता है। विदेशी फूलों से गुलदस्ता भी बना सकते है और माला भी बना सकते हैं। किंतु मंदिरों में तो देशी फूलों की माला ही श्रद्धालु मांगते है। देशी में खुशबू रहती है, इसके लिये भगवान को देशी फूलों की माला सबसे ज्यादा चढ़ायी जाती है।

उन्होंने बताया कि देशी फूलों को प्रति किलो 50 रुपये से 60 रुपये तक मंडी से खरीद के लाते है। कभी कभी त्यौहारों पर देशी फूलों का रेट थोड़ा ज्यादा हो जाया करता है। देशी फूल हर स्थिति में विदेशी फूलों से सस्ता ही बिकता है। हम लोग चौक मंडी से फूलों को खरीदकर लाते है और मंडी में किसानों से खरीद कर लाते है।

फूल के व्यवसाय से जुड़े जयदेव ने बताया कि विदेशी फूलों की खपत तो शून्य है। अभी कोई इवेंट नहीं करना चाहता है। जो छोटे कार्यक्रम हो भी रहे है, वहां गुलदस्ते से काम चल रहा है। गुलदस्ते में देशी फूलों का ज्यादा उपयोग करते है। विदेशी फूलों का उपयोग तो बिल्कुल ही नहीं हो पा रहा है। दिल्ली से आने वाले बंडलों के रेट ज्यादा है और फूलों में दम नहीं है।

उन्होंने बताया कि देशी फूलों की खेती अपने लखनऊ के आसपास होती है। गेंदा, गुलाब तो वर्षभर अपनी मुस्कान बिखेरे रहता है। मदार के फूल की मांग तो शिवभक्त ही जानते है। शिवभक्तों को मदार के फूल के अलावा कोई दूसरा फूल नहीं भाता है। शिवलिंग पर चढ़ाने के लिये मदार का ही सर्वाधिक उपयोग होता है। शुरु होने जा रहे सावन माह में मदार के फूलों की माला की बिक्री दस गुनी हो जायेगी।

RELATED ARTICLES

Most Popular