लखनऊ में तृतीय पुण्यतिथि पर याद किये गये श्रद्धेय अटल बिहारी बाजपेयी

लखनऊ(हि.स.)। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी बाजपेयी के तृतीय पुण्यतिथि पर लखनऊ में साहित्य जगत, पत्रकारिता जगत, राजनीतिक क्षेत्रों में कार्य करने वाले लोगों और उनके जीवन से प्रेरणा लेने वाले नौजवानों ने उन्हें याद किया।

लखनऊ से पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी का गहरा नाता था और यहां से उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़कर जीता था। नगर निगम के कर्मचारी नेता अशोक गोयल बताते हैं कि लखनऊ से लोकसभा चुनाव के दौरान कई नामचीन चेहरों तो छोटी जगहों पर राजनीति करने वाले भी अटल जी से जुड़कर उनका प्रचार कर रहे थे। उसी दौर में उन्होंने भी अटल जी के लिए ही चुनाव में वक्त दिया।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी पर उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे पथ प्रदर्शक, महान राष्ट्रवादी, भारत में विकास और सुशासन के युग की शुरुआत करने वाले, जन-जन के प्रिय पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन है।

श्रद्धेय अटल बिहारी बाजपेयी की तृतीय पुण्यतिथि पर राष्ट्रधर्म के प्रबंध निदेशक सर्वेश चंद्र द्विवेदी ने कहा कि राष्ट्रधर्म पढ़ने वाले लोगों में विचारधारा का प्रवाह हो, इसके लिए अटल जी को सन् 1947 में राष्ट्रधर्म का संपादक बनाया गया था।

उन्होंने कहा कि अटल जी दो वर्षो तक राष्ट्रधर्म के संपादक रहे। रक्षाबंधन पर राष्ट्रधर्म का पहला अंक आया तो उस वक्त अटल जी संपादक रहे। सन् 1947 से 49 तक उनके संपादक रहते हुए राष्ट्रधर्म को दिशा मिली थी। उसके बाद जनसंघ की स्थापना होने पर अटल जी उसका कार्य देखने गए। अटल जी की पुण्यतिथि पर राष्ट्रधर्म परिवार का सभी सदस्य उन्हें याद कर नमन करता है।

उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त पत्रकार समिति के अध्यक्ष हेमंत तिवारी ने कहा कि अटल जी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व अपने आप में स्वयं भारतीय समाज की तरक्की का संदेश है। आजाद भारत में जिन शीर्ष नेतााओं ने देश की उन्नति के लिए निस्वार्थ भाव से अपना सबकुछ त्याग कर के श्रेष्ठ योगदान दिया, उसमें अटल जी एक विलक्ष्ण व्यक्तित्व के तौर पर गिने जाते हैं।

उन्होंने कहा कि हम उनके विराट व्यक्तित्व वाले अत्यंत्र सरल और सिर्फ भारत के लिए सोचने वाले इकलौता राजनेता अटल जी हमारे हृदय में बसते है। मेरे प्रति उनका स्नेह था, ये मेरे जीवन की एक बड़ी उपलब्धि है। उनकी पुण्यतिथि पर मैं उनको हृदय से नमन करता हूं।

भारतीय नागरिक परिषद के संरक्षक चंद्रप्रकाश अग्निहोत्री ने कहा कि अटल जी से सन् 1957 से मेरा परिचय रहा। उनके संपर्क में रहते हुए कभी नहीं लगा कि वह नेता है और हम कार्यकर्ता है। उनका भाव समर्पण का था। अटल जी सदैव हंसते, मुस्कुराते रहते थे। कोई उनके पास किसी कार्य से आता तो इशारे में ही सारे बात कर जाते थे।

उन्होंने कहा कि अटल जी मालूम नहीं होने देते थे कि उनके साथ बैठे व्यक्ति से उनका किस प्रकार का संबंध है। वे हर किसी से लगाव रखते थे। आज ऐसा भाव बहुत कम ही देखने को मिलता है। अटल जी को कोटि कोटि नमन है।

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