रायबरेली: 12 साल बाद ‘नाइपर’ को मिली अपनी जमीन

रायबरेली(हि.स.)। 12 साल बाद नाइपर को अपनी जमीन मिलेगी। लंबे इंतजार के बाद अब यह महत्वपूर्ण संस्थान खुद की जमीन पर स्थापित हो सकेगा। इसके लिए तलाश पूरी करते हुए महराजगंज के विनायकपुर में जमीन चिन्हित की गई है। 

 दरअसल, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजूकेशन एण्ड रिसर्च सेन्टर (नाइपर) रायबरेली की स्थापना 2008 में ही हो गई थी, लेकिन जिले में आवश्यक सुविधा न होने के कारण इसका संचालन लखनऊ के सरोजनीनगर स्थित सीआईएसएफ के बेस कैंप स्थित भवन से किया जा रहा था। लंबी प्रतीक्षा के बाद अब महराजगंज तहसील क्षेत्र के विकास खण्ड बछरावां के विनायकपुर गांव में जमीन की तलाश पूरी कर ली गई है और चिन्हित जमीन को अंतिम रूप दे दिया गया है। इसके लिए स्थानीय तहसील प्रशासन द्वारा काफी मशक्कत के बाद जमीन को तलाशा गया है। इस संबंध में आवश्यक औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। 
गौरतलब है कि नाइपर स्थापित करने का रायबरेली राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा एवं अनुसन्धान संस्थान (नाईपर) एक स्वायत्त निकाय है जो औषधि निर्माण विभाग, रसायन और उर्वरक मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन काम करता है। 
औषधि विज्ञान के क्षेत्र में अन्य संस्थान को नेतृत्व प्रदान करने व इस क्षेत्र में शोध और विकास को बढ़ावा देता है, संस्थान में औषधि क्षेत्र के कई महत्वपूर्ण विषयों में एमफार्मा व पीएचडी की भी पढ़ाई कराई जाती है।
 नाइपर दक्षिण पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया और अफ्रीका के देशों के लिए औषधीय विज्ञान और संबंधित क्षेत्रों में मदद भी करता है और भारतीय विश्वविद्यालयों के संघ और राष्ट्रमंडल विश्वविद्यालयों की एसोसिएशन का सदस्य है। भारत सरकार द्वारा अब तक छह नाईपर अहमदाबाद, हैदराबाद, कोलकाता, हाजीपुर, गुवाहाटी और रायबरेली में खोले गये हैं।
उपजिलाधिकारी विनय कुमार मिश्रा के अनुसार नाइपर के लिए विनायकपुर गांव में करीब 150 बीघे जमीन को चिन्हित किया गया है। शेष औपचारिकता भी जल्द ही पूरी कर ली जाएगी।

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