राम के आदर्शों को आत्मसात करें, होगा मानवता का कल्याण : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

अयोध्या |मर्यादा पुरूषोत्तम राम के बगैर अयोध्या की कल्पना को निराधार बताते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि रामायण एक विलक्षण ग्रन्थ है जिसको आत्मसात करके न सिर्फ मानवता का कल्याण हो सकता है बल्कि देश के विकास में मदद मिल सकती है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को रामकथा पार्क में रामायण कान्क्लेव का शुभारंभ और अयोध्या में करोड़ों रुपए की पर्यटन विकास योजनाओं का लोकार्पण करने के बाद एक सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि बिना राम के अयोध्या की कल्पना नहीं की जा सकती। सबमें राम व सबके राम हैं। रामायण के एक दोहे “सियाराम मय सब जग जानी, करहुं प्रनाम जोरि जुग पानी।” का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा संसार के कण-कण में भगवान राम का वास है। यह मर्म समझ लेने के बाद संसार में कलह और हिंसा का कोई स्थान नहीं होगा। रामायण ही ऐसा ग्रंथ है जिसमें ऐसे गुण मिलते हैं जिसका मानव जीवन में अमूल्य योगदान है।

धार्मिक नगरी के पुण्य सरयू सलिला के पावन तट पर उन्होंने कहा कि अयोध्या मयार्दा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम की पावन जन्मभूमि व लीलाभूमि है जो भविष्य में मानव सेवा का उत्कृष्ट केन्द्र बनेगी। साथ ही साथ शिक्षा शोध का प्रमुख वैश्विक केन्द्र भी रहेगी। उन्होंने कहा कि प्रभु राम सभी को साथ लेकर चलें। शबरी के जूठे बेर खाकर और निषाद राज को गले लगाकर भगवान श्रीराम ने ऊंच-नीच के भेदभाव को मिटाया। समाज में समरसता स्थापित किया और लोगों को मर्यादित रहना सिखाया। भगवान राम जैसा कोई नहीं।

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