राजनीति के चन्दन, हेमवती नंदन!
बहुगुणा जी की पुण्य तिथि (17 मार्च) पर विशेष
के. विक्रम राव
“बहुगुणा भाई बहुगुणा, शास्त्रीय जी का झुनझुना“। ऐसी काव्यात्मक श्रद्धांजलि “नवभारत टाइम्स“ के संवाददाता और मेरे साथी स्व. सुरेंद्र चतुर्वेदी द्वारा लिखित आज भी बहुत याद आती हैं। श्री हेमवती नंदन बहुगुणा का बड़ा योगदान था लाल बहादुर शास्त्री को नेहरू के बाद दूसरा प्रधानमंत्री बनवाने में। मुकाबला महाबली मोरारजी देसाई के साथ था। उन दिनों (1974) गोमती तट पर इस्लामी अध्ययन केन्द्र नदवा में अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित हो रहा था। सऊदी अरब के शेख भी आये थे। उनका परिचय उत्तर प्रदेश के कांग्रेसी मुख्यमंत्री हेमवती नन्दन बहुगुणा से कराया गया। शेख ने उन पर तुरन्त टिप्पणी की : “वही वजीरे आला, जिसने यहां इतना बेहतरीन इंतजाम किया?” बहुगुणा जी ने आभार व्यक्त किया और एक अनुरोध किया : “कृपया वजीरे आजम से इस बात को मत कहियेगा।” दशकों के अनुभव के आधार पर उन्होंने यह कहा था। इंदिरा गांधी तब प्रधानमंत्री थीं। बहुगुणाजी ने परिहास भी किया था। इंदिराजी पहले पौधा बोतीं हैं। फिर कुछ वक्त के बाद उखाड़ कर परखती हैं कि कहीं जड़ जम तो नहीं गई! यही नियम वे नामित मुख्यमंत्रियों पर लगाती थीं। कुछ ही दिनों बाद बहुगुणा जी का कार्यकाल कट गया।
उन्हीं दिनों बहुगुणा जी दिल्ली गये थे। इंदिरा गांधी ने अपने चाकर यशपाल कपूर को भेजा कि मुख्यमंत्री का त्यागपत्र ले आएं। कपूर से बहुगुणा जी ने कहा कि लखनऊ से भिजवा देंगे। पर इंदिरा गांधी ने कपूर को दुबारा भेजा। तब आहत भाव से बहुगुणा जी इंदिरा गांधी से मिलने आए और वादा किया कि अमौसी वायुयान स्थल से वे सीधे राजभवन जाएंगे और गवर्नर को त्यागपत्र थमा देंगे। नारीसुलभ आनाकानी को देखकर बहुगुणा जी बोलेः “आप चाहती हैं कि इतिहास दर्ज करे कि महाबली प्रधानमंत्री ने एक अदना मुख्यमंत्री से अपने आवास पर ही इस्तीफा लिखवा लिया?” इंदिरा गांधी के मर्म पर यह चोट थी। बहुगुणा जी को मोहलत मिल गई। मगर नियति ने बदला लिया। साल भर बाद लखनऊ से बहुगुणा जी लोक सभा के लिये (मार्च 1977) अपार बहुमत से जीते। बस सत्तर किलोमीटर दूर रायबरेली में इंदिरा गांधी हार गईं। इतिहास रच गया।
यह भी पढें : पटेल को भुला देने की साजिश!
बहुगुणा जी से हमारे संगठन (इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स) से काफी आत्मीय रिश्ते रहे। कारण भी था। इलाहाबाद में बहुगुणा जी दैनिक नेशनल हेरल्ड से जुड़े रहे। संपादक मेरे पिता स्व. श्री. के रामा राव थे। बहुगुणाजी से मेरी प्रथम भेंट मुम्बई में 1964 में कांग्रेसी अधिवेशन में हुई थी। जवाहरलाल नेहरू के जीवन का यह अंतिम था, उनके निधन के कुछ माह पूर्व। तब टाइम्स ऑफ इंडिया का संवाददाता होने के नाते नये प्रदेश हरियाणा पर मैं एक शोधवाली रपट तैयार कर रहा था। अविभाजित पंजाब तथा उत्तर प्रदेश के कांग्रेसी नेताओं से साक्षात्कार किया। तब यूपी कांग्रेस के एक महामंत्री थे बहुगुणा जी और दूसरे थे बाबू बनारसी दास जी। बहुगुणा जी ने जाट-बहुल पश्चिम यूपी के भू-भाग के हरियाणा में विलय की संभावना से इंकार कर दिया था। उस दिन, दो अक्टूबर 1978 के दिन बहुगुणा जी चित्रकूट आए थे। हमारे नवगठित नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ न्यूजपेपर्स एण्ड न्यूज एजेंसीस एम्प्लाइज आर्गनाइजेशंस का उद्घाटन करने। मीडिया कर्मियों की संगठनात्मक एकजुटता का सूत्र हमें सिखा गये। तभी लखनऊ दैनिक स्वतंत्र भारत के संपादक अशोकजी चित्रकूट में ही हृदयघात से पीड़ित हो गये। अपने वायुयान में बहुगुणा जी ने उन्हें लखनऊ अस्पताल पंहुचवाया।
यह भी पढें : लोहिया भी थे समान नागरिक संहिता के समर्थक
हम पत्रकारों की स्वार्थपरता का एक नमूना दे दूँ। लखनऊ के करीब प्रत्येक संवाददाता ने मुख्यमंत्री बहुगुणा से लाभ उठाया होगा। हमारे संगठन की राज्य यूनियन का अधिवेशन अयोध्या में 1982 में तय था। मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह द्धारा उद्घाटन होना था। राष्ट्रीय प्रधान सचिव के नाते मैंने बहुगुणा जी को मुख्य अतिथि के रूप में आंमत्रित किया। तब वे सांसद तक नहीं थे। बहुगुणा जी ने मुझे सचेत कर दिया था कि उनके आने से कांग्रेस सरकार असहयोग करेगी। मेरा निर्णय अडिग था। उधर मुख्यमंत्री सिंह ने मुझसे कहा कि यदि बहुगुणा जी आएंगे तो वे नहीं आ पाएंगे। दुविधा की परिस्थिति थी। अतः बहुगुणा जी को मैंने समापन समारोह पर दूसरे दिन बुलवाया। मैं अपनी कृतज्ञता व्यक्त करना चाहता था। सूरजमुखी उपासना की गंदी परम्परा को मैंने तोड़ी। फिर एक दिन (17 मार्च 1989) हजरतगंज की एक दुकान पर मैं था, तो अचानक कांग्रेसी विधायक देवेंद्र पाण्डेय ने बताया कि क्लीवलैण्ड (अमरीकी) अस्पताल में बहुगुणा जी का निधन हो गया। तब प्रतीत हुआ कि हमारे समाचारों का एक अहम स्रोत गुम हो गया। मेरा एक निजी प्रेरक और मित्र चला गया। राष्ट्र ने एक जननायक को खो दिया। आज उनकी पुण्यतिथि पर शत्-शत् नमन्! (लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं आइएफडब्लूजे के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।)
यह भी पढें : …तो नेहरू जी तानाशाह हो जाएंगे!
हमारी अन्य खबरों को सीधे पोर्टल पर जाकर भी पढ़ सकते हैं। इसके लिए क्लिक करें : www.hindustandailynews.com
कलमकारों से ..
तेजी से उभरते न्यूज पोर्टल www.hindustandailynews.com पर प्रकाशन के इच्छुक कविता, कहानियां, महिला जगत, युवा कोना, सम सामयिक विषयों, राजनीति, धर्म-कर्म, साहित्य एवं संस्कृति, मनोरंजन, स्वास्थ्य, विज्ञान एवं तकनीक इत्यादि विषयों पर लेखन करने वाले महानुभाव अपनी मौलिक रचनाएं एक पासपोर्ट आकार के छाया चित्र के साथ मंगल फाण्ट में टाइप करके हमें प्रकाशनार्थ प्रेषित कर सकते हैं। हम उन्हें स्थान देने का पूरा प्रयास करेंगे : जानकी शरण द्विवेदी सम्पादक मोबाइल 09452137310 E-Mail : jsdwivedi68@gmail.com