रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड को भारतीय सेना को सौंपा

नई दिल्ली । रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ के टर्मिनल बैलेस्टिक रिसर्च लेबोरटरी की सहायता से इकॉनमिक एक्सप्लोसिव लिमिटेड द्वारा पहली बार बनाए गए मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड को भारतीय सेना को सौंप दिया है। रक्षामंत्री ने इसे पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर की साझेदारी का एक बड़ा उदाहरण बताया है। आइए मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड की ख़ास बातें जानते हैं।
1 यह ग्रेनेड न सिर्फ बेहद घातक है बल्कि इस्तेमाल करने के लिहाज से सुरक्षित और विश्वसनीय भी है।
2 यह ग्रेनेड ऑफेंसिव और डिफेंसिव दोनों तरीकों से काम करता है।
3 इसकी सटीकता 99 फीसद से अधिक है।
4 मार्च 2021 में मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड के प्रोडक्शन की मंजूरी मिली थी।
5 पांच महीने के भीतर-भीतर 1 लाख से अधिक मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड बनाए गए हैं।

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस मौके पर कहा कि किसी भी इंडस्ट्री के लिए बढ़िया इन्फ्रास्ट्रक्चर सबसे पहली और जरूरी चीज़ होती है। इसे देखते हुए हमने उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो डिफेंस कॉरिडोर की स्थापना की है। ये कॉरिडोर आने वाले वक्त में न सिर्फ डोमेस्टिक जरूरतों को पूरा करेंगे बल्कि भारत को एक एक्सपोर्ट देश के तौर पर दुनिया के सामने लाएंगे। उन्होंने कहा कि मल्टी-मोड ग्रेनेड्स की तरह ही ‘अर्जुन-मार्क-1’ और ‘अनमैंड सर्फेस वेकिल’ तरह के अनेक प्रोडक्ट्स हैं जिनका हमारी इंडस्ट्री पूरी तरह से स्वदेशी उत्पादन करने लगी है। ये केवल हाल के कुछ उपाय हैं जो सरकार द्वारा आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को पूरा करने के लिए किए गए हैं। इन उपायों और कोशिशों की एक लंबी लिस्ट है जिसे सरकार ने आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए किए हैं।

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