योगी बने संकटमोचक, इंसेफेलाइटिस खात्मे की ओर
लखनऊ (हि.स.)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बेहतर प्रबन्धन के कारण उत्तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस की लड़ाई खात्मे की ओर है। चार दशक से गोरखपुर और बस्ती मण्डल में मासूमों पर कहर बन रहे इंसेफेलाइटिस जैसी गंभीर बीमारी पर कारगर अंकुश लगा है।
स्वास्थ्य महकमे के आंकड़ों के मुताबिक चार सालों के दौरान मरीजों और मौतों में 90-95 फीसदी कमी आई है। प्रदेश में स्वच्छता अभियान के अन्तर्गत विभिन्न विभागों के बेहतर समन्वय और लोगों की जागरूकता से अब यह घातक बीमारी उन्मूलन के अंतिम चरण में हैं। दो वर्ष के भीतर पूर्वी उत्तर प्रदेश इंसेफलाइटिस के प्रकोप से मुक्त होकर पूरे देश को सफलता का संदेश देगा।
प्रदेश सरकार के मुताबिक स्वच्छ भारत मिशन ने इंसेफेलाइटिस की चुनौती को आसान बनाया है। इसी वजह से अब कुल मामले और मौतों में इतने बड़े पैमाने पर कमी दर्ज की गई है।
सरकार ने दावा किया है कि अगले दो वर्षों के अन्दर एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस), जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) पूरी तरह से खत्म हो जायेगा। विषाणु जनित डेंगु, चिकुनगुनिया व स्वाइन फ्लू जैसी बीमारियों की चुनौती भी कम होगी, जिस तरह से इंसेफेलाइटिस की लड़ाई जीती गई है, उसी तरह इस बीमारी से भी लड़ाई जीती जायेगी। इस बीमारी से हर वर्ष 1200-1500 बच्चों की मौत हो रही थी, उसे काबू में कर लिया गया है।
गोरखपुर और बस्ती मण्डलों में एईएस से छह और जेई से मात्र एक की मौत हुई है। इलाज की बेहतर व्यवस्था की गई है। सीएचसी, पीएचसी में ही इलाज मिल रहा है। मिनी पीको के साथ आईसीयू भी बनाये गये हैं। हर जिला अस्पताल में इंसेफेलाइटिस का आईसीयू है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत उत्तर प्रदेश में पिछले साढ़े तीन वर्षों में ही 2.61 करोड़ से अधिक शौचालय बनाए गए। अब गांवों में ज्यादातर लोग शौचालय का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन सबकी वजह से सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं।