मेरठ : भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं पांडवों की कुल देवी जंयती माता
मेरठ(हि.स.)। कौरवों और पांडवों की नगरी हस्तिनापुर में उनकी कुलदेवी जयंती माता भक्तों की मनोकामना पूरी करती है। पांडव टीले पर स्थित जयंती माता मंदिर की गणना देवी की शक्तिपीठों में होती है। नवरात्र के अलावा भी यहां पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
महाभारत कालीन नगरी हस्तिनापुर में गंगा नदी के किनारे पांडव टीले पर माता जयंती देवी का मंदिर स्थित है। इस मंदिर की गणना देवी के 51 शक्तिपीठों में होती है। हिन्दू मान्यता के अनुसार, जहां-जहां माता सती के अंग के टुकड़े, वस्त्र व आभूषण गिरे, उन स्थानों पर शक्तिपीठ अस्तित्व में आए। यह शक्तिपीठ तीर्थस्थलों कहलाए। इनमें से एक शक्तिपीठ हस्तिनापुर का जयंती माता का मंदिर है। यहां पर माता सती के 108 अंगों में से दाहिनी जंघा का अंग दक्षिण गुल्फ गिरा था।
कौरवों व पांडवों की कुलदेवी है जयंती माताजयंती माता मंदिर ट्रस्ट के संस्थापक व अध्यक्ष सुदेश कुमार उर्फ पप्पू गुर्जर का कहना है कि जयंती माता कौरवों पांडवों की कुलदेवी है। कौरव और पांडव यहां पर पूजा किया करते थे। महाभारत युद्ध से पहले भी पांडवों ने जयंती शक्तिपीठ मंदिर में पूजा करके विजय का वरदान मांगा था। भगवान श्रीकृष्ण ने भी माता कुंती को यहां पर पूजा करके पांडवों के साथ रहने का वचन दिया था। मंदिर के पास ही कुमुदेश्वर भैरव नाम की शक्ति विराजमान है। माता दुर्गा के ये प्रचलित नाम जिनसे हम सब अनभिज्ञ नही है। सरकारी उपेक्षा के कारण बदहाल पांडव टीलाहस्तिनापुर का पांडव टीला अपने भीतर महाभारत काल के रहस्य छिपाए हुए हैं। सरकारी उपेक्षा के कारण यह टीला बदहाली का शिकार है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की खुदाई में यहां से महाभारत कालीन पुरावशेष मिल चुके हैं। हस्तिनापुर आने वाले पर्यटक इस टीले पर आते समय जयंती माता के दर्शन करते हैं। टीले पर ही मराठों द्वारा निर्मित पांडवेश्वर महादेव मंदिर है।
पिंडी रूप में विराजमान है माता जयंतीजयंती माता शक्तिपीठ मंदिर में देवी पिंडी रूप में विराजमान है। मंदिर में मां की मूर्ति का प्रतिदिन श्रृंगार किया जाता है। मंदिर के चारों ओर प्राकृतिक वातावरण श्रद्धालुओं का मन मोह लेता है।
जम्बूद्वीप भी आकर्षण का केंद्रपांडव टीले के पास स्थित जैन धर्म का तीर्थस्थल जम्बूद्वीप भी श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र है। जयंती माता के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु जम्बूद्वीप में बने जैन धर्म के मंदिरों के दर्शन भी करने जाते हैं।
जयंती माता ने दिए थे पांडवों को अस्त्र-शस्त्रजयंती मंदिर के पुजारी पंडिम मनीष शुक्ला का कहना है कि भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर पांडवों ने अपनी कुलदेवी की आराधना की थी। उनकी आराधना से प्रसन्न होकर देवी ने ही पांडवों को अमोघ अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए थे। इसके बाद पांडवों ने महाभारत युद्ध को जीता।