मिड-डे मील की जगह स्कूली बच्चों को मिलेगा नाश्ता

नेशनल डेस्क

नई दिल्ली। देशभर के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में दिया जाने वाले मिड-डे मील की जगह स्कूली बच्चों को अब नाश्ता दिया जाएगा। ऐसा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रस्ताव है। इसी सप्ताह नेशनल एजुकेशन पॉलिसी को स्वीकृति देते हुए केंद्रीय कैबिनेट ने पाया कि सुबह के घंटों में छात्रों को पोषक आहार देना ज्यादा जरूरी है, इससे छात्रों की पढ़ाई की क्षमता में इजाफा होगा। इन्हीं सब बातों को देखते हुए मिड-डे मील को नाश्ता के रूप में आगे बढ़ाने का फैसला किया गया है। पॉलिसी में कहा गया है कि जब बच्चे कुपोषण का शिकार होते हैं या उनकी हालात ठीक नहीं होती तो ठीक से याद नहीं कर पाते। इसीलिए छात्रों के पोषण और सेहत (पोषण और मानसिक सेहत) को ध्यान में रखते हुए सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से उन्हें पोषक आहार, काउंसलिंग आदि की मदद से इ समस्या को दूर किया जाएगा।
हाल में आए एक शोध में कहा गया है कि सुबह के घंटों में पोषक आहार पाने वाले छात्र अपने विषयों की पढ़ाई ज्यादा अच्छे से कर पाते हैं। इसलिए सुबह छात्रों को मिड-डे मील के स्थान पर ऊर्जा देने वाला नाश्ता दिजा जाना चाहिए। जिन इलाकों में गर्म खाना उपलब्ध कराया जाना संभव नहीं है उन इलाकों में छात्रों को मूंगफली, चना-गुड़ और कोई स्थानीय फल दिए जा सकते हैं। नई शिक्षा नीति के तहत सभी छात्रों का नियमित रूप से स्वास्थ्य चेकअप होगा। छात्रों की देखाभाल के लिए हेल्थ कार्ड भी दिए जाएंगे। संशोधित शिक्षा नीति में 10$2 के स्थान पर 5$3$3$4 पैटर्न के तहत छात्रों को पांच साल स कम के बच्चों को नर्सरी क्लासेस या बालवाटिका में जाना होगा। यहां छात्रों को खेल-कूद यानी एक्टीविटी आधारित शिक्षा पर जोर दिया जाएगा।

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