मायावती सरकार में हुए स्मारक घोटाले में पूर्व मंत्रियों के बाद अधिकारियों से होगी पूछताछ
लखनऊ | बसपा शासनकाल में लखनऊ व नोएडा में स्मारकों के निर्माण में हुए 1400 करोड़ रुपये के घोटाले में जल्द ही अधिकारियों से भी पूछताछ होगी। इनमें से कुछ रिटायर भी हो चुके हैं। घोटाले की जांच कर रहा उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) दो पूर्व मंत्रियों समेत दो दर्जन से ज्यादा लोगों से पूछताछ कर चुका है।
विजिलेंस ने हाल ही में तत्कालीन बसपा सरकार के दो कैबिनेट मंत्रियों नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा से पूछताछ की थी। दोनों मंत्री तत्कालीन बसपा सरकार में आवास और खनन विभाग के मंत्री की भूमिका में भी थे। इससे पहले कार्यदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम के तत्कालीन चार बड़े अफसरों को विजिलेंस ने गिरफ्तार किया था। साथ ही स्मारकों के लिए पत्थरों की आपूर्ति के ठेके से जुड़े रहे दो अभियुक्तों रमेश यादव और किशोरी लाल को भी गिरफ्तार किया गया था।
विजिलेंस की जांच में यह तथ्य सामने आया था कि मिर्जापुर से लाए गए पत्थरों को राजस्थान से लाए जाने का दावा करते हुए परिवहन के फर्जी बिलों का भुगतान लिया गया। पत्थरों की कीमतों से लेकर उसके परिवहन तक में भारी अनियमितता देखने में आई थी।
विजिलेंस अब खनन, आवास और कार्यदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम समेत कुछ अन्य विभागों के तत्कालीन अधिकारियों से जल्द पूछताछ करने की तैयारी में है। इनमें घोटाले के समय शासन में तैनात रहे अफसर भी हो सकते हैं। कुछ अभियुक्तों के विरुद्ध आरोप पत्र भी दाखिल किया जाएगा। इससे पहले 20 मई 2013 को शासन को सौंपी गई अपनी जांच रिपोर्ट में लोकायुक्त ने कुल 199 लोगों को आरोपी बताया था। वर्ष 2014 में इसी रिपोर्ट के आधार पर जांच की जिम्मेदारी विजिलेंस को सौंपी गई थी। विजिलेंस ने जनवरी 2014 में लखनऊ के गोमतीनगर थाने में पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा समेत 19 नामजद व अन्य अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी। अब इसी एफआईआर पर उसकी जांच चल रही है।