महानिशा पूजन में मां के दर्शन को उमड़े लगभग दो लाख भक्त
सप्तमी को सुबह से ही भक्तों के आगमन का सिलसिला रहा जारी अष्टभुजा और कालीखोह मंदिरों पर भक्तों ने दर्शन पूजन कर पुण्य की कामना कीत्रिकोण मार्ग पर पूरे दिन भक्तों के त्रिकोण करने का सिलसिला रहा जारी
मीरजापुर, 23 अक्टूबर (हि.स.)। शारदीय नवरात्र के सप्तमी तिथि को महानिशा की पूजा में मां विंध्यवासिनी के दरबार में लगभग दो लाख भक्तों ने दर्शन पूजन कर पुण्य की कामना की। मंगला आरती के बाद भक्तों के दर्शन पूजन का सिलसिला हुआ तो रात तक चलता रहा।
अष्टभुजा और कालीखोह मंदिरों पर भी अन्य दिनों की अपेक्षा बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन पूजन किए। इन मंदिरों में मत्था टेकने के बाद भक्त त्रिकोण परिक्रमा में जुट गए। बिहार, झारखण्ड, मध्य प्रदेश एवं अन्य प्रांतों के बड़ी संख्या में भक्त निजी वाहनों से दर्शन पूजन के लिए विंध्यधाम पहुंचे।
शारदीय नवरात्र के सप्तमी तिथि को मां का दर्शन पूजन करने के लिए गैर प्रांतों के श्रद्धालु गुरुवार की रात में ही विंध्यधाम पहुंच गए थे। विंध्यधाम के होटलों और अतिथिगृहों में विश्राम के बाद श्रद्धालु चार बजे भोर में ही गंगा स्नान कर मंगला आरती के बाद दर्शन पूजन के लिए मंदिर की तरफ जाने वाले मार्गों पर लगी लाइन में पंक्तिबद्ध हो गए थे। मंगला आरती के बाद मंदिर का कपाट खुलते ही भक्त मां का दर्शन पूजन करने में जुट गए। गर्भगृह में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। सुबह जैसे-जैसे दिन ढलता गया श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती गयी।
शुक्रवार को रात्रि में महानिशा पूजा होने के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने मंदिर के दोनों प्रवेश द्वार एवं झांकी की तरफ जाने वाले मार्गों पर लाइन लगा लिए थे। पुरानी व न्यू वीआईपी पर सुबह से ही भक्तों की लंबी लाइन लगी रही। यही स्थिति कोतवाली रोड पर भी थी। दूर-दराज के श्रद्धालुओं का निजी वाहनों व बसों से विंध्यधाम पहुंचने का सिलसिला पूरे दिन जारी रहा। अष्टभुजा और कालीखोह मंदिरों पर भी भक्तों की भारी भीड़ रही। सुबह से ही भक्त दर्शन पूजन के लिए श्रद्धाभाव से पंक्ति में खड़े रहे। इन मंदिरों पर मत्था टेकने के बाद भक्त त्रिकोण परिक्रमा में जुट गए। कालीखोह के पीछे स्थित सीढ़ी से पहाड़ी होते हुए भक्त अष्टभुजा मंदिर पर दर्शन पूजन कर शिवपुर स्थित रामेश्वरम मंदिर और रामगया घाट स्थित तारा मंदिर में दर्शन पूजन करने के बाद त्रिकोण परिक्रमा पूरी की। त्रिकोण मार्ग पर सुरक्षा की तगड़ी व्यवस्था रही। रामगया घाट श्मशान, तारा मंदिर व भैरो कुण्ड में हुई तंत्र साधना
महानिशा की रात्रि तंत्र साधना के लिए विंध्यधाम के विभिन्न स्थलों पर तांत्रिकों का जमावड़ा सुबह से ही लग गया था। शाम को ही पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जुटा कर तंत्र साधक साधना की तैयारी पूरी कर लिए थे। ऐसी मान्यता है कि विंध्यधाम में वाममार्गी और दक्षिणमार्गी दोनों साधक अपनी-अपनी साधना विधि से तंत्र साधना कर सकते है। दोनों साधकों को अभिष्ट फल की प्राप्ति होती है। इसीलिए यहां दोनों मार्गों के साधक फल की प्राप्ति के लिए तंत्र साधना के लिए महानिशा की पूजा में जुटते है। विंध्यधाम के शिवपुर स्थित रामगया श्मशान घाट, तारा मंदिर, अष्टभुजा पहाड़ी पर स्थित भैरो कुण्ड समेत अन्य साधना स्थलों पर तंत्र साधकों ने साधना कर अपने ईष्ट को प्रसन्न करने का उपक्रम किए। तंत्र साधना के मद्दे नजर विभिन्न साधना स्थलों के आसपास पुलिस का कड़ा पहरा रहा। रात्रि में प्रकाश के लिए अलास्का लाइट लगायी गयी थी, ताकि कोई अप्रिय घटना न होने पाए।
महानिशा में तंत्र साधना का अलग ही महत्व
महानिशा में विंध्यधाम में तंत्र साधना का अपना अलग ही महत्व है। विंध्यधाम के पुरोहित मिट्टू मिश्र व विजय बाबू मिश्र के मुताबिक विंध्यधाम में वाममार्गी और दक्षिण मार्गी दोनों साधकों के साधना का प्राविधान है। वाममार्गी साधक लाल एवं काला कपडे का वस्त्र धारण कर तंत्र साधना करते है। इसके अलावा अपने ईष्ट को प्रसन्न करने के लिए बकरे की बलि देते है। वहीं कुछ साधक श्मशान घाट पर शव साधना भी करते है। ऐसे साधक रामगया घाट श्मशान घाट, तारा मंदिर, काली खोह, भैरो कुण्ड,चितवा खोह, मोतिया तालाब, गेरुआ तालाब आदि स्थानों पर साधना करते है।
सात्विक विधि से साधना करते हैं वाममार्गी
वाममार्गी साधक सफेद व गेरुआ वस्त्र धारण कर मां के दरबार में सात्विक विधि से साधना करते है। ऐसे साधक मां की पूजा के लिए सफेद फूल, इत्र, नारियल, काजू, किशमिश, छुहारा, मिष्ठान आदि का उपयोग करते है। वहीं प्रतीकात्मक बलि देने के लिए जायफर या नींबू काटते है। पुरोहितों की मानें तो यहां साधना की एक अलग विधा है, वह है सामान्य विधा। मां के साधक यदि दर्शन पूजन कर आराधना करते है तो उन्हें भी वहीं फल प्राप्त होता है जो अन्य साधकों को मिलता है। मां के दरबार में न कोई छोटा है और न बड़ा है।
स्टैण्डों पर वसूला जा रहा है मनमाना किराया
डीएम के सख्त निर्देश के बावजूद मेला क्षेत्र में स्थित विभिन्न वाहन स्टैण्डों से मनमाना किराया वसूला गया। दो पहिया और चार पहिया वाहनों का किराया 40 से 50 रुपये प्रति वाहन वसूला गया। जब वाहन मालिक विरोध करते है तो स्टैण्ड पर मौजूद कर्मचारी उनसे विवाद भी कर लेते थे।
होटलों में ठहरने को नहीं मिल रहे कमरे
विंध्यधाम में सप्तमी व अष्टमी तिथि शुक्रवार को ही होने के कारण दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालु सप्ताह भर पहले ही विभिन्न होटलों में कमरा बुक करा लिए थे। इससे शुक्रवार को मां के दरबार पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को रात गुजारने के लिए होटलों में कमरे नहीं मिल पा रहे थे।
विंध्य पहाड़ी पर रही रौनक
शारदीय नवरात्र मेले के सातवें दिन विंध्य पहाड़ी पर रौनक रही। त्रिकोण करने वाले भक्तों की संख्या अन्य दिनों की अपेक्षा दोगुनी रही। कालीखोह मंदिर से अष्टभुजा मंदिर होते हुए तारा मंदिर जाने वाले मार्ग पर पूरे दिन भक्तों की टोली दिखी। इस मार्ग से गुजरने वाले वाहनों को एक-एक कर छोड़ा जा रहा था। अष्टभुजा के पास लगाए गए बैरियर पर वाहनों को रोकने के बाद रवाना किए जा रहे थे।