बिना वारंट भी रिया चक्रवर्ती हो सकती हैं गिरफ्तार
राज्य डेस्क
पटना। सुशांत सिंह राजपूत प्रकरण में रिया चक्रवर्ती की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इस मामले ने जिस तरीके से तूल पकड़ा है ऐसे में उनकी गिरफ्तारी की बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। शहर के सीनियर क्रिमिनल लॉयर अरविंद मउआर ने बताया कि पुलिस अफसर को गंभीर अपराध में यह अधिकार प्राप्त है कि वह बिना कोर्ट से वारंट प्राप्त किये भी गिरफ्तार कर सकती है। दर्ज हुई एफआईआर पर क्रिमिनल लॉयर अरविंद कुमार मउआर ने कहा कि जो भी बातें प्राथमिकी में लिखी गयी हैं उन सारे तथ्यों पर गहराई से छानबीन कर एफआईआर में वर्णित कागजातों का अवलोकन करने के उपरांत अगर लिखी गई बातों की पुष्टि कागजी सबूतों, परिस्थतियों और गवाहों के बयान से पुष्ट हो जाती है तो आरोपितों को न्यायालय के द्वारा सजा दी जा सकती है।
धाराओं पर एक नजर :
भादवि की धारा 506 : कोई भी व्यक्ति किसी को उसके मान-समान को चोट पहुंचाने के लिये केस मुकदमे में फंसाने की धमकी देता है तो वैसे व्यक्ति को दो वर्ष की सजा या आर्थिक दंड या दोनों से दंडित करने का प्रावधान है।
भादवि की धारा 120बी : किसी अपराध को करने के लिये अपराध में शामिल होकर षड्यंत्र करने वाले व्यक्ति जिस तरह का अपराध करते हैं। साबित साक्ष्य के आधार पर किया जाता है तो वैसे सभी षड्यंत्रकारियों को कारित किये गये अपराध के अनुरूप ही सजा दी जायेगी।
भादवि की धारा 342 : किसी भी व्यक्ति को अवैध तरीके से एक निश्चित सीमा के अंदर घेरकर रखना ताकि वह किसी भी दिशा में बाहर न निकल सके। एक वर्ष की सजा आर्थिक दंड, एक हजार, संज्ञेय, जमानतीय।
भादवि की धारा 306 : कोई भी व्यक्ति आत्महत्या के लिये दुष्प्रेरित करता या उकसाता है और कोई किसी व्यक्ति के उकसाने पर आत्महत्या कर लेता है तो उकसाने वाले व्यक्ति को 10 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है। यह धारा संज्ञेय व गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है, जो अजमानवीय है।
भादवि की धारा 380 : घर में चोरी करने से संबंधित है, जिसमें सात वर्ष तक की सजा और आर्थिक दंड का भी प्रावधान है। यह संज्ञेय व गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। यह अजमानतीय धारा है।
भादवि की धारा 406 : अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के पास विश्वास कर कोई संपत्ति रखता है और उस संपत्ति को वह व्यक्ति अपने उपयोग में लाता है जिसे उसे उपयोग करने का अधिकार नहीं होता है। वैसे व्यक्ति को तीन वर्ष तक की सजा या आर्थिक दंड या दोनों दी जा सकती है। यह संज्ञेय, अजमानवीय है।
भादवि की धारा 420 : धोखाधड़ी या बेईमानी की नीयत से किसी को कोई व्यक्ति उत्प्रेरित कर संपत्ति प्राप्त करता है और उसे अपने उपयोग में लाता है ऐसे अपराध के लिये सात वर्ष की सजा है। यह संज्ञेय और अमानवीय धारा है।