बांध कटा, मंत्री आए, समझे समझाए और चले गए, आप भी पढ़ें अधिकारियों का तर्क

जानकी शरण द्विवेदी

गोण्डा। प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांग सशक्तिकरण विभाग के मंत्री अनिल राजभर एवं जल शक्ति विभाग के राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख ने शुक्रवार को अपर मुख्य सचिव के साथ बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण किया तथा पुलिस लाइन में अधिकारियों के साथ बैठक करके बाढ़ के स्थिति की समीक्षा की। जिम्मेदार अधिकारियों ने दोनों मंत्रियों को समझाया कि मात्र 30 मिनट में बंधा कट गया। जब तक हम कुछ समझ पाते और बचाने की कोशिश करते, तब तक ‘मशीना’ अपना काम कर गया। कट गया। बहरहाल मंत्रियों ने पीड़ितों को हर संभव मदद पहुंचाने का निर्देश दिया। साथ ही संभावित बाढ़ को देखते हुए सिंचाई विभाग के अभियंताओं को छुट्टी पर न जाने को कहा गया है।
बैठक के दौरान विभागीय अधिकारियों ने मंत्रियों को अवगत कराया कि नदी विगत वर्ष से तटबंध के किमी 17.200 से किमी 17.800 के मध्य बंधे से सटकर प्रवाहित हो रही है। इसके सुरक्षा हेतु रेवेटमेंट का कार्य कराया गया था। इस स्थल पर नदी का प्रवाह लगभग 500-700 मी. की चौड़ाई में था, जो पानी घटने के साथ ही कम होकर 50-100 मी. तक की चौड़ाई में बचा। तटबंध के विपरीत दिशा में नदी द्वारा सिल्टिंग की गई है, जिससे नदी की धारा तटबंध पर अत्यधिक वेग से दबाव बनाकर प्रवाहित होने लगी। बन्धे के पास नदी का वेग बढ़ने एवं इससे उत्पन्न तीव्र प्रकृति का बहाव जिसे लोकल भाषा में मशीना कहते हैं, बंधे को मात्र 30 मिनट में क्षतिग्रस्त कर दिया। इसके बाद क्षतिग्रस्त स्थल के पीछे रिंग बांध का निर्माण कार्य 03 मी. चौड़ाई एवं 70 सेंमी ऊंचाई में करा दिया गया है। नदी का वर्तमान जल स्तर धरातल से 15 से 20 सेटीमीटर ऊपर है, जबकि बनाया गया रिंग बांध का धरातल से 70 सेमी ऊंचा है। परिणाम स्वरूप आबादी क्षेत्र में नदी का पानी नही पहुंच पा रहा है। अधिकारियों ने यह भी तर्क दिया कि विगत वर्ष इस अवधि में 540 मिमी वर्षा के सापेक्ष इस वर्ष 1147 मिमी वर्षा हो चुकी है जो लगभग दो गुना है। इसके साथ ही गत वर्ष 3 लाख 20 हजार क्यूसेक पानी डिस्चार्ज के सापेक्ष 4 लाख 21 हजार क्यूसेक पानी डिस्चार्ज हुआ है। यह भी ज्यादा है। इसे भी बंधे के कटने का कारण कुछ हद तक माना जाना चाहिए। अभियंताओं ने कहा कि इस वर्ष कोविड-19 के बावजूद भी बंधे के मरम्मत और स्परों के निर्माण का कार्य कराया गया। लग रहा है कि अभियंताओं ने ऐसा करके कोई अहसान किया हो। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ का स्पष्ट तौर पर निर्देश था कि बाहर से आने वाले प्रवासी मजदूरों के लिए मनरेगा के तहत अधिकाधिक मानव दिवस का रोजगार सृजन किया जाय। ऐसी दशा में विभाग बंधे की मरम्मत करवाने की बात करके खुद अपनी पीठ थपथपाना चाहता है। जबकि उसे बंधे के कटने के सभी लक्षण पहले से ज्ञात थे। जैसे कि सम्बंधित बिन्दु पर नदी की धारा संकरी हो जाना, नदी का बंधे से सटकर प्रवाहित होना, नदी के विपरीत दिशा में सिल्ट का जमाव होना, तटबंध से सटकर बहाव वाले स्थानो ंपर मशीना लगना। यह सब ऐसे लक्षण हैं, जो दर्शाते हैं कि यदि यह लक्षण बना रहा तो बंधा कटना तय है। इसके बावजूद समय पर और तेजी से उपचार नहीं किया जा सका।
मंत्री द्वय ने अधिकारियों से कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा सभी तटबन्धो पर 24 घंटे पेट्रोलिंग की व्यवस्था करने के लिए निर्देशित किया गया है। राहत एवं बचाव कार्यों के लिए संचालित नावें क्षतिग्रस्त न हां तथा उस पर क्षमता से ज्यादा आदमी न बैठने पाएं। साथ ही क्षमता से अधिक सामान भी न लादा जाए। प्रकाश के लिए जनरेटर का प्रबंध किया जाय। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में मिट्टी का तेल व डीजल की व्यवस्था पहले से ही सुनिश्चित कर लिया जाय। बाढ़ प्रभावितों को दी जाने वाली राशन किट में सभी सामान मानक के अनुरूप हों। जल जमाव वाले क्षेत्रों में छिड़काव की भी व्यवस्था हो तथा पानी उतरते समय विशेष ध्यान रखा जाय ताकि बीमारियां न फैलने पाएं। उन्होंने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा के व्यापक प्रबन्ध करने तथा आपदा प्रबन्धन का प्रशिक्षण कर चुके होमगार्डों की ड्यूटी लगाने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि नियंत्रण कक्ष से रोजाना बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लेखपाल व ग्राम प्रधान व अन्य कर्मियों से सुबह ही वार्ता कर स्थिति की जानकारी प्राप्त कर ली जाय। साथ ही नियंत्रण कक्ष को 24 घंटे पूरी तरह से सक्रिय रखा जाय। अपर मुख्य सचिव सिंचाई टी. वेंकटेश ने कहा कि सिंचाई विभाग के अधिकारी स्थलीय निरीक्षण कर यह सुनिश्चित कर लें कि कहीं पर खतरे की स्थिति नहीं है। संवेदनशील स्थलों पर सतत निगरानी रखते हुए ऐसे स्थलों पर बचाव के लिए जरूरी सामग्री का भण्डारण व अन्य आवश्यक उपकरण पहले से व्यवस्थित रखें ताकि तात्कालिक आवश्यकतानुसार कार्य कराया जा सके। उन्होंने कहा कि बाढ़ आपदा के दृष्टिगत यह सुनिश्चित किया जाय कि अवर अभियन्ता सहित अन्य कर्मी अवकाश पर न जाएं तथा अपने दायित्वों का पूरी तरह से निर्वहन करें।
जिलाधिकारी डा. नितिन बंसल ने अवगत कराया कि सुरक्षा के दृष्टिगत सभी बंधों पर पेट्रोलिंग का कार्य कराया जा रहा है। 23 बाढ़ चाकियां पहले से ही सक्रिय हैं। सकरौर-भिखारीपुर तटबंध पर एकाएक कटान हुई है, परन्तु कटान से किसी भी प्रकार की जनहानि नहीं हुई है। राहत व बचाव के दृष्टिगत मेडिकल की 19 टीमें, पशुपालन विभाग की 05 टीमें, 02 राहत वितरण केन्द्र संचालित हैं। इसके अलावा 30716 लोगों को क्लोरीन की टैबलेट तथा 1664 लोगों को ओआरएस घोल के पैकेट बांटे गए हैं। 1209 लोगों को उपचारित करने के साथ ही 01 लाख 53 हजार 901 पशुओं का टीकाकरण, 07 गांवों में फागिंग, 36 गांवों में कीटनाशकों का छिड़काव, 3763 बच्चों तथा 2993 महिलाओं का टीकाकरण किया गया। बाढ़ प्रभावित 501 लोगों को तिरपाल, 1432 लोगों फूड पैकेट तथा 442 लोगों राशान किट वितरित करने के साथ ही 02 हजार लीटर शुद्व पेयजल तथा पशुओं के लिए 45 कुन्तल भूसे का निःशुल्क वितरण किया गया है। जिलाधिकारी ने बताया कि तहसील तरबगंज अन्तर्गत सकरौर-भिखारीपुर तटबंघ कटने से बिशुनपुरवा मजरे के 08 परिवारों के 25 लोग व्यक्ति प्रभावित हुए हैं जिन्हें सुरक्षित स्थान पर विस्थापित कर दिया गया है।
बैठक में विधायक तरबगंज प्रेम नरायण पाण्डेय, जिलाध्यक्ष सूर्य नारायण तिवारी, एसपी आरके नैयर, अपर जिलाधिकारी राकेश सिंह, नगर मजिस्ट्रेट वंदना त्रिवेदी, चीफ इन्जीनियर सरयू परियोजना खंड-1 अखिलेश कुमार सचान, सरयू परियोजना खंड-2 राकेश कुमार, एसडीएम कर्नलगंज ज्ञान चन्द्र गुप्ता, जिला आपदा विशेषज्ञ राजेश श्रीवास्तव सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

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