बर्थ एनिवर्सरी जून: फिल्म जगत में पंचम दा के नाम से मशहूर थे आरडी बर्मन

संगीत की दुनिया में एक खास पहचान बनाने वाले और अपने संगीत के माध्यम से भारतीय सिनेमा को एक खास मकाम पर पहुंचाने वाले फिल्म जगत के मशहूर संगीतकार राहुल देव बर्मन यानी आरडी बर्मन आज बेशक इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन वह संगीत की दुनिया का एक ऐसा नाम थे, जिन्होंने बॉलीवुड संगीत को एक ऊंचा मकाम दिलाया। 60 से लेकर 80 तक के दशक में बॉलीवुड संगीत की दुनिया पर राज करने वाले आरडी बर्मन को प्यार से सब पंचम दा बुलाते थे। वह मशहूर संगीतकार सचिन देव बर्मन के बेटे थे।

27 जून, 1939 को जन्में आरडी बर्मन ने बहुत कम समय में दर्शकों के दिलों को जीता और सफलता की बुलंदियों को छुआ। आर डी बर्मन की 83वीं जयंती पर हम अपने पाठकों को बता रहे हैं उनकी और आशा भोंसले के बीच की वो कमेस्ट्री, जिनसे उनके दिल जुड़े और दोनों दो जिस्म एक जान हुए यानी हम आपको बता रहे हैं संगीत की दुनिया के दो महान कलाकारों की प्रेम कहानी के बारे में।

आशा भोसले 60 के दशक में बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही थी, जिसमें वह सफल भी हुईं। उस समय आरडी बर्मन संगीत की दुनिया का एक जाना माना नाम बन चुके थे। आशा ने अपनी मेहनत और सुरीली आवाज़ की बदौलत फिल्म इंडस्ट्री में खूब शोहरत कमाई। साल 1954 में राज कपूर ने आशा को अपनी फिल्म ‘बूट पोलिश’ में छह गीत गाने का मौका दिया। आशा उनकी उम्मीदों पर खरी उतरीं और फिल्म के साथ-साथ फिल्म के सभी गाने भी दर्शकों के बीच काफी मशहूर हुए। इसी दौरान साल 1956 में आशा की मुलाकात आरडी बर्मन से हुई, लेकिन ये एक छोटी सी मुलाकात थी जो परिचय और हाल चाल तक ही सीमित रही। करीब 10 साल बाद साल 1966 में वह समय आया जब आर डी बर्मन ने फिल्म ‘तीसरी मंज़िल’ के लिए आशा भोसले से गाने के लिए संपर्क किया। उस समय तक आरडी बर्मन और आशा भोसले दोनों की ही अपने निजी जीवन में दुखी थे और दोनों की पहली शादी टूट चुकी थी। फिल्म तीसरी मंज़िल में आशा भोसले ने मोहम्मद रफी के साथ चार गीत गाए, जिन्हें आरडी बर्मन ने संगीतबद्ध किया। इसके बाद आशा भोसले- आरडी बर्मन के लिए एक के बाद एक कई गाने गा रही थीं। दोनों के गाने सुनकर ऐसा लगता था कि आर डी बर्मन का संगीत और आशा की सुरीली आवाज़ एक-दूसरे के लिए ही बने हैं। कई सालों तक बगैर शब्दों के ही उनके एहसास संगीत की तरह रोमांस बनकर बहते रहे। संगीत उन्हें करीब ला रहा था। धीरे-धीरे दोनों में प्यार हो गया और दोनों शादी करना चाहते थे, लेकिन यह सब इतना आसान नहीं था। आशा 3 बच्चों की मां थी और आरडी बर्मन से उम्र में छह साल बड़ी भी थी, जिसके कारण आरडी बर्मन की माँ इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं थीं, लेकिन कहते हैं न प्यार अगर सच्चा हो तो मंजिल पा ही जाता है। यही हुआ आशा और आरडी बर्मन के साथ। दोनों ने साल 1960 में शादी कर ली। इस रिश्ते में दुखद मोड़ तब आया जब 4 जनवरी, 1994 में 54 वर्षीय आरडी बर्मन का निधन हुआ। आरडी बर्मन के निधन के बाद आशा बिल्कुल टूट सी गईं थी, उन्होंने बहुत मुश्किल से खुद को संभाला और अपना जीवन संगीत को अर्पित कर दिया। आरडी बर्मन आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके संगीतबद्ध किये गए गीत आज भी दर्शकों के बीच काफी पसंद किये जाते हैं।

सुरभि सिन्हा

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