प्रधानमंत्री और सीएम की रैलियों पर पूर्व मंत्री अजय राय ने उठाया सवाल

-रैलियों में भीड़ महामारी प्रूफ है, फिर वाराणसी में धार्मिक परम्पराओं पर क्यों रोक लगी

वाराणसी (हि.स.)। वैश्विक महामारी कोरोना काल में बिहार चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विशाल रैलियों पर प्रदेश के पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय राय ने सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि बिहार की राजनीतिक रैलियों में भीड़ क्या महामारी प्रूफ है। रैलियों में कोराना संक्रमण नहींं फैलता। फिर वाराणसी में धार्मिक जनआस्था से जुड़ी सैकड़ों वर्ष पुरानी परम्पराओं पर कोरोना के नाम पर रोक क्यों लगाया गया। धार्मिक परम्पराओं को क्यों खंडित किया गया।
पूर्व मंत्री गुरूवार अपरान्ह महामंडल नगर लहुराबीर स्थित अपने कैंप कार्यालय में मीडिया से रूबरू थे। उन्होंने केन्द्र और प्रदेश की भाजपा सरकारों के दोहरी निती पर हमला बोल कहा कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री बिहार में बड़ी-बड़ी चुनावी रैलियां कर रहे है। इन चुनावी रैलियों में सोशल डिस्टेंस का कहां पालन हो रहा,इसकी जबाबदेही किसकी है। कोरोना काल में वर्चुअल प्रचार कर भी तो अपनी बातें जनता तक पहुंचाई जा सकती है। 
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार जनआस्था को तुच्छ मानती है। नमस्ते ट्रंप और मध्य प्रदेश में सत्ता पलट राजनीतिक आपरेशन के लिए भाजपा सरकार कोरोना संकट से बचाव के नाम पर लॉकडाउन जैसी रणनीति में राजनीतिक लाभ के लिए विलम्ब करती है। लेकिन जन आस्था की सामाजिक परम्पराओं को रौंदने से नही चुकती। उन्होंने कहा कि भाजपा धर्म एवं संस्कृति की बात केवल राजनीतिक लाभ के लिए करती है। भाजपा सरकार ने काशी में दुर्गापूजा, रामनगर की ऐतिहासिक रामलीला, पांच सौ वर्ष पुराने नाटीईमली के विश्वप्रसिद्ध भरत मिलाप के आयोजन को अनुमति नहीं दी। केवल परम्पराओं का निर्वहन किया गया। वर्षो पुरानी परम्पराएं खंडित हुई। परम्पराओं की किसी तरह खानापूर्ति की गई। इसमें मुस्लिम वर्ग के त्यौहार और उनकी धार्मिक परम्पराएं भी शामिल है। पूर्व मंत्री ने बुनकरों के हड़ताल को लेकर भी सरकार पर हमला बोला। 
उन्होंने कहा कि सरकार एक ओर ‘लोकल बने वोकल’ के साथ स्वदेशी, स्वावलम्बी एवं आत्म निर्भर भारत का नारा देती है। वहीं दूसरी ओर बनारस की परंपरागत पहचान एवं शान रहे बुनकरी के अनोखे कला का दमन कर रही है। बुनकर केवल मुसलमान ही नहीं है। इसमें हिन्दू बुनकर भी है। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग किया कि बुनकरों के समस्याओं का त्वरित निदान किया जाय। बुनकर समाज की मांगे मान बनारसी वस़्त्र उद्योग के शिल्पियों को सरकारी सरंक्षण भी मिले। बुनकरों के हड़ताल से अकेले वाराणसी में लगभग 300 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है। वार्ता में जिलाध्यक्ष राजेश पटेल और महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे भी उपस्थित रहे।

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