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प्रतापगढ़ में 97 एकड़ जमीन पर बनेगा इंडस्ट्रियल पार्क

प्रतापगढ़ (हि.स.)। प्रतापगढ़ जिला मुख्यालय पर प्रदेश का औद्योगिक विकास विभाग आटो टैक्टर लिमिटेड फैक्ट्री की 97 एकड़ जमीन पर निजी इंडस्ट्रियल पार्क को विकसित करेगी। इसके लिए यूपीसीडा बोर्ड ने प्रस्ताव पास कर लिक्विडेटर के पास बकाये के लागभग 67 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए पत्र भेज दिया है। सरकार जल्द ही इसके लिए टेंडर करेगी। माना जा रहा है कि इससे प्रतापगढ़ और आस-पास के इलाके के करीब 20 हजार युवाओं को रोजगार मिलेगा।

बरसों से बंद पड़ी प्रतापगढ़ की ट्रैक्टर आटो लिमिटेड की वीरान हो चुकी बेशकीमती जमीन अब जल्द ही आबाद होगी। आटो ट्रैक्टर लिमिटेड फैक्ट्री वर्ष 1972 में बंद हो गई थी। बाद में तत्कालीन मुलायम सिंह सरकार ने वर्ष 1989 के करीब फैक्ट्री को सिपाही समूह के सुपुर्द कर दिया। कंपनी को फैक्ट्री का सिर्फ संचालन दिया गया था लेकिन फैक्ट्री चल नहीं सकी और बैंकों के कर्ज और कर्मचारियों के बकाये के चलते लिक्विडेटर द्वारा फैक्ट्री की जमीन फंसी पड़ी थी।

सांसद संगमलाल गुप्ता ने एक वर्ष पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर औद्योगिक विकास विभाग के अधिकारियों से मुलाकात कर पूरे प्रकरण की गहन जानकारी दी। उन्हें बताया गया कि अगर प्रदेश सरकार 67 करोड़ रुपये का बैंकों का कर्ज अदाकर दे तो यूपीसीडा को 600 करोड़ रुपये बाजार मूल्य से ज्यादा की फैक्ट्री की जमीन वापस मिल सकती है। इस और तीस वर्षों से किसी सरकार का ध्यान ही नहीं गया था।

औद्योगिक विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव अरविंद कुमार ने बताया कि यूपीसीडा ने पूरे प्रस्ताव का अध्ययन कर निर्णय किया है कि प्रतापगढ़ की यह जमीन चूंकि यूपीसीडा की ही थी, लिहाजा इसे वापस लिया जाएगा। निर्णय किया गया है और लिक्वीडेटर को यूपीसीडा की ओर से पत्र भेजकर कहा गया है कि राज्य सरकार 67 करोड़ का कर्ज अदा करने देगी। अत: अदालत में इसके मुताबिक शपथपत्र लगा दिया जाए।

उन्होंने बताया कि इसके बाद इस जमीन पर निजी इंडस्ट्रियल पार्क बनाया जाएगा। इसके लिए औद्योगिक विकास विभाग की नीति के तहत उद्योगों को छूट दी जाएगी। निजी पार्क में लगने वाले उद्योगों से जहां यह वीरान पड़ी जमीन आबाद होगी। वहीं आसपास के करीब 20 हजार से ज्यादा युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार मिल सकेगा।

शासकीय अधिवक्ता विवेक उपाध्याय ने बताया कि यूपीसीडा द्वारा समस्त बकाया देयों को भुगतान करने संबंध में शपथ पत्र हाईकोर्ट में पेश कर जमीन सरकार को वापस करने की गुजारिश कर दी गई है। अगर औद्योगिक विकास के लिए इतनी जमीन कहीं भी अधिगृहीत की जाती तो 2400 करोड़ रुपये लागत सरकार को चुकानी पड़ती। रोजगार और औद्योगिक विकास के मद्देनज़र यह बहुत महत्वपूर्ण कदम है।

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