वाराणसी (हि.स.)। धर्म नगरी काशी में आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि (मातृ नवमी) पर शनिवार को लोगों ने श्रद्धापूर्वक अपनी दिवंगत माता का विधिवत श्राद्ध कर तर्पण किया। मातृनवमी पर श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण के लिए लोग अलसुबह से ही गंगातट और पिशाचमोचन कुंड पर पहुंचते रहे। सिर का बाल मुड़वाने के बाद स्नान कर लोगों ने अपनी दिवंगत माता सहित परिवार की सभी दिवंगत मातृशक्ति का विधिवत श्राद्ध किया।
पितृपक्ष के नवमी तिथि पर माता का श्राद्ध करने के लिये सबसे उपयुक्त दिन होता है। इस दिन दिवंगत माताओं, बहुओं और बेटियों का पिंडदान करते हैं जिनकी मृत्यु सुहागिन के रूप में हुई हो। इस तिथि पर श्राद्ध करने से परिवार की सभी मृतक महिला सदस्यों की आत्मा प्रसन्न होती है। सनातन परम्परा में माना जाता है कि मातृ नवमी के दिन श्राद्ध करने से माताओं की आत्मा को सुख-शांति मिलती है। जिन विवाहित महिलाओं की मृत्यु नवमी तिथि को हुई हो या फिर जिन महिलाओं की मृत्यु तिथि ज्ञात न हो, उनका श्राद्ध मातृ नवमी के दिन पूरे विधि-विधान से किया जाता है।
कर्मकांडी ब्राम्हण चंदन पांडेय बताते है कि मातृ नवमी पूजा से मृत महिलाओं की आत्मा को शांति मिलती है और वे बदले में अपने वंशजों पर आशीर्वाद बरसाती रहती हैं। यदि कोई किसी कारण से अनुष्ठान करने से चूक जाता है, तो इसे ‘महालय अमावस्या’ पर किया जा सकता है।
श्रीधर/पदुम नारायण
