पिता पूर्व पीएम राजीव की तरह अयोध्या से अपने चुनाव प्रचार का आगाज कर सकती हैं प्रिंयका गांधी वाड्रा

लखनऊ । उत्तरप्रदेश में अगले साल फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं। कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा 27 अगस्त को अयोध्या में होने वाली किसान महापंचायत में शामिल हो सकती हैं।इस तरह प्रियंका गांधी अपने पिता पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तर्ज पर अयोध्या से 2022 के चुनाव मिशन का आगाज कर सकती हैं।
पार्टी सूत्रों के बताया कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा 27 अगस्त को ‘किसान महापंचायत में शामिल होने के लिए अयोध्या पहुंच सकती हैं। इसदौरान प्रियंका गांधी राम जन्मभूमि भी जा सकती हैं।कांग्रेस पूरे प्रदेश में किसान महापंचायत कार्यक्रम शुरू कर रही है।इस कांग्रेस के यूपी चुनाव अभियान की शुरुआत के तौर पर भी देखा जा रहा है।
बता दें कि प्रियंका गांधी 2019 के लोकसभा चुनाव में अयोध्या पहुंची थी।इस दौरान प्रियंका ने कांग्रेस प्रत्याशी निर्मल खत्री के लिए रोड शो करने के साथ अयोध्या के हनुमानगढ़ी जाकर दर्शन किया था।हालांकि, अयोध्या का मामला सुप्रीम कोर्ट में होने के वजह से उन्होंने रामलला के दर्शन करने नहीं गई थी, लेकिन अब मामला हल हो चुका हैं, और राममंदिर निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है।
राममंदिर भूमि पूजन के दौरान कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर लिखा था कि, ‘राम सब में हैं, राम सब के साथ हैं।भगवान राम और माता सीता के संदेश और उनकी कृपा के साथ रामलला के मंदिर के भूमिपूजन का कार्यक्रम राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम का अवसर बने। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पिछले दिनों किसान पंचायत करने के लिए पश्चिम यूपी के तमाम जिलों में दौरा किया था,तब उन्होंने इस दौरान कई जगहों पर मंदिर में जाकर मात्था टेका था।सहारनपुर में प्रियंका ने शाकुंभरी देवी मंदिर में दर्शन और पूजा अर्चना की थी। वहीं, मथुरा में बांके बिहारी मंदिर में जाकर भगवान कृष्ण के दर्शन किया था। इतना ही नहीं वारणसी में बाबा विश्वानाथ मंदिर और विंध्याचल में माता विंध्यवासिनी देवी के दर्शन करने पहुंची थी।
बात दें कि प्रियंका गांधी के पिता राजीव गांधी ने साल 1989 के लोकसभा चुनाव अभियान का आगाज अयोध्या से शुरू किया था।इसकी वजह यह थी कि उनके कार्यकाल में अयोध्या में शिलान्यास की इजाजत दी गई थी।इसके बाद इस मुद्दे को भुनाने के मकसद से राजीव गांधी ने यह कदम उठाया था ताकि बीजेपी राममंदिर मुद्दे का फायदा न ले सके।

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