पानी की टंकी पर चढ़कर मरीज ने हैलट अस्पताल पर लगाया भ्रष्टाचार का आरोप
कानपुर। लाला लाजपत राय (हैलट) अस्पताल में गुरुवार को उस समय हड़कंप मच गया जब एक मरीज पानी की टंकी पर चढ़कर शोले फिल्म की अंदाज पर अस्पताल के डाक्टरों पर जमकर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। करीब दो घंटा तक तमाशा चलता रहा और सूचना पर पहुंची पुलिस ने कड़ी मशक्कत के बाद मरीज को टंकी से उतार थाने ले गयी। हालांकि अस्पताल प्रबंधन की ओर से थाने में किसी प्रकार की तहरीर नहीं दी गयी। वहीं हैलट की प्रमुख अधीक्षिका ने कहा कि मुझे जानकारी देर से मिली है और मामले की जानकारी पर ही कुछ कहूंगी।
मूल रुप से औरैया जनपद के दिबियापुर निवासी 28 वर्षीय शिवाजीत कानपुर में प्राइवेट नौकरी करता है और रावतपुर में रहता है। दो दिन पूर्व उनके एक दोस्त ने गाड़ी बैक करते समय टक्कर मार दी थी, इससे उनके पैर में चोट आ गई थी। गुरुवार सुबह जब उनके पैर में तेज दर्द हुआ तो वह दिखाने के लिए हैलट अस्पताल पहुंचा। इमरजेंसी के डॉक्टर ने एक्सरे के लिए भेजा और एक्सरा देख डाक्टरों ने चार दवाएं व एक इंजेक्शन लिख आराम करने की सलाह दी। शिवजीत ने कहा कि उसके पास पैसे नहीं है। सरकारी अस्पताल है यहां दवाएं मिलती हैं। सुरक्षा गार्डों ने कहा कि यहां से नहीं बल्कि ओपीडी से दवा मिलेगी या बाहर मिलेगी। उसे भगाने की कोशिश की। इस पर वह सुरक्षा गार्ड पर भड़क गया और हाथापाई पर आमादा हो गया। कुछ जूनियर डॉक्टर आ गए उनसे भी धक्का मुक्की हुई। मरीज अपनी शिकायत लेकर पुलिस चौकी पहुंचा जहां उसकी नहीं सुनी गई। नाराज होकर वह पांच बजे के आस-पास इमरजेंसी परिसर में ही पानी की टंकी पर चढ़ गया। आधे घंटे बाद लोगों को पता चला कि कोई टंकी पर चढ़ा है। टंकी पर चढ़कर वह अस्पताल के डॉक्टरों और व्यवस्स्था को लेकर चिल्ला रहा था। इस दौरान पुलिस लगी रही और काफी मनाने से दो घंटे बाद वह टंकी से उतरा। पुलिस थाना स्वरूप नगर लेकर चल गई। वहां पूछताछ हो रही है। हैलट की प्रमुख अधीक्षक प्रो. रिचा गिरि का कहना है कि मुझे सूचना देर से मिली है तब तक पुलिस उसे ले जा चुकी थी। पूरी पड़ताल के बाद ही वह कुछ कह सकती है। वहीं थाना प्रभारी अश्विनी पाण्डेय ने बताया कि अस्पताल की ओर से किसी प्रकार की तहरीर नहीं मिली है। मामले को लेकर भले ही अस्पताल प्रशासन पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहा हो पर मरीज ने पानी की टंकी पर चढ़कर अस्पताल में भ्रष्टाचार की पोल खोल दी कि यहां पर दवाइयां बाहर से मरीजों को खरीदनी पड़ती है।